Aalsi Gadha Moral Story in Hindi – हेलो प्यारे बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बहुत ही रोचक और मजेदार कहानी । यह बहुत ही unique और बेस्ट कहानी है “आलसी गधे” यह कहानियां आपको किसी अन्य वेबसाइट पर पढ़ने को नहीं मिलेगी तो प्यारे बच्चों में आशा करती हूं आप यह सभी कहानियां पढ़ेंगे और इनसे सीख लेकर अपने जीवन पर अमल करोगे।
आलसी गधे के मौत की कहानी -The Death Story of Lazy Donkey – Aalsi Gadha Moral Story in Hindi
प्यारे बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं आलसी गधे की बहुत ही मजेदार वा रोचक कहानी। एक समय की बात है केरला के एक गांव में दो गधे अपने मालिक के साथ रहा करते थे। एक गधे का नाम था कालू और दूसरे गधे का नाम था भालू। जब वह गधे छोटे थे तो उनका मालिक उन्हें बहुत प्यार करता था। उनके के खाने पीने का ध्यान रखा करता था। हर दिन अपने गधों के खाने की व्यवस्था करता। उन गधों को बिना मेहनत के खूब सारा खाने को मिलता था। कालू गधा बहुत आलसी था और भालू बहुत ही चुस्त और समझदार। भालू बचपन से ही अक्सर अपने मालिक के साथ जंगल की ओर जाया करता था और अपने भोजन की व्यवस्था खुद ही करता था। वह अपने मालिक से सीखता था कि भोजन कैसे खोजना है वहीं दूसरी और कालू जो बहुत आलसी था।

वह कभी भी अपने मालिक के साथ बाहर नहीं जाता था। जब उसका मालिक उसका भोजन उसके मुंह के आगे रखे वह उसी में खुश रहता था और बिना मेहनत के जीवन जीने में भी खुश रहता था। इसी तरह दिन बीते चले गए ।अब वह दोनों बड़े हो गए। उनका बालिक बहुत बूढ़ा हो गया था ।एक दिन अचानक से सीढ़ियों से गिरने से मालिक की मृत्यु हो गई । दोनो गधे चिंतित होने लगे अब उन्हें अपने मालिक की याद आने लगी। भालू बहुत तेज और चालक था।
वह बचपन से ही अपने मालिक के साथ भोजन की खोज पर जाता था तो उसे घबराने की जरूरत नहीं थी। वह अच्छे से जानता था कि अपने भोजन की व्यवस्था कैसे करनी है। वहीं दूसरी और कालू जो बहुत आलसी था। वह कभी मेहनत नहीं करता था। उसने अपने भोजन के लिए कभी मेहनत नहीं कि वह बैठकर खाने में खुश रहता था इसी तरह कालू को अब परेशानी आने लगी। उसे अक्सर भोजन बहुत कम मिलता था। कभी-कभी भालू उसकी मदद कर दिया करता था उसे भोजन लाने में।
एक दिन उस गांव में बाढ़ आ गई अब वे दोनों चिंतित हो गए। बाढ़ में वह अपने घर को छोड़कर जा भी नहीं सकते थे ना भोजन की व्यवस्था कर सकते थे। यह सब देख गधे भालू ने निर्णय लिया कि वह बाहर जाकर भोजन की व्यवस्था करेगा भालू से कालू की दशा देखी नहीं गई। कालू भूख से तड़प रहा था किंतु उसे अंदाजा नहीं था कि उसे भोजन कहां मिलेगा इसलिए वह पूर्ण रूप से भालू पर ही निर्भर था।
भालू ने उसकी दशा देखकर बाहर जाकर भोजन खोजने का मन बनाया। इतनी बाड़ के बावजूद भी भालू बाहर गया दुर्भाग्यवश भालू बाढ़ में बह गया। कालू पूरा दिन भालू का इंतजार करता रहा और अब उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह कई दिनों से भूखा था और बहुत कमजोर महसूस कर रहा था। इसी तरह वह भालू का इंतजार करते-करते सो गया पर दुर्भाग्यवश वह अगली सुबह कभी देख नहीं सका।
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “आलस बुरी बला है”। कभी-कभी आलस करने से हमें अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
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आलसी गधे की कहानी – The Story of Lazy Donkey – Aalsi Gadha Moral Story in Hindi
एक गांव में एक आदमी रहता था। उसका नाम खड़क सिंह था। उसके पास एक गधा था। उसने इस गधे का नाम निखट्टू रखा था क्योंकि वह गधा बहुत आलसी था। अलासपन के कारण उस गधे का काम में जी नहीं लगता था। एक दिन खड़क सिंह ने सोचा उसकी गोदाम में जो नमक बचा है क्यों ना वे उसे बाजार में बेच आए। कुछ पैसे भी बन जाएंगे। तो उसने निखट्टू के पीठ पर वह नमक का बोझ लाद दिया और बाजार की ओर चल दिया।
रास्ते में एक नदी पड़ती थी उस नदी में से गुजर कर शहर की ओर जाना पड़ता था। फिर नदी पार करते समय अचानक से निखट्टू गधे का पैर फिसल जाता है उसे चोट तो नहीं लगी पर उस नदी से निकलने के बाद उसे ऐसा लगा मानो उसकी पीठ का बोझ हल्का हो चुका है। तो उसे वह बहुत अच्छा लगता है।अगले दिन फिर उसने ऐसा ही किया नदी आने पर वह जानबूझकर फिसल गया और उसकी पीठ का बोझ दुबारा हल्का हो जाता है।क्योंकि नमक पानी में बह जाता है। उसके मालिक खड़कसिंह को उसकी चाल समझ में आ जाती है और उसने उसे सबक सिखाना चाहा।
अगले दिन खड़क सिंह ने गधे की पीठ पर रुई लाद दी। रुई तो हल्की थी मगर आलसपन के कारण निखट्टू ने सोचा क्यों ना फिर वही तिगड़म लगाई जाए वह नदी में फिर जानबूझ कर फिसल गया और नदी में फिसलते ही रुई ने सारा पानी सोख लिया। अब वह बोझ गधे को बहुत ही ज्यादा भारी लग रहा था और वह गधा परेशान हो गया कि यह क्या हुआ बोझ कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ गया। पर मालिक को समझ आया कि उसकी योजना सफल हुई।
नैतिक शिक्षा:
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें काम से कभी जी चुराना नहीं चाहिए। इसी प्रकार काम से जी चुराने वाला “कामचोर”कहलाता है।
आलसी गधे और अकलमंद घोड़े की कहानी – The Story of the Lazy Donkey and the Clever Horse – Aalsi Gadha Moral Story in Hindi
आज की कहानी है आलसी गधे और अकलमंद घोड़े की। एक समय की बात है हरियाणा के कुरुक्षेत्र में एक पहलवान बलराज रहा करता था। उस पहलवान के पास एक बहुत ही अच्छी नस्ल का घोड़ा और एक गधा भी था। घोड़ा बहुत ही समझदार और चतुर था। वहीं दूसरी और गधा हमेशा आलस में चूर रहता था। गधे के मालिक को यह बात पसंद नहीं आती थी। वह जब भी गधे से कोई काम कराता था। वह हमेशा टालमटोल करता था। दूसरी और घोड़ा बहुत समझदार था। घोड़े का मालिक उसे घुड़सवारी के प्रतियोगिता में लेकर जाता था। वह घोड़ा घुड़सवारी की प्रतियोगिता में भाग लेता था और अक्सर वह जीतकर आता था और अपने मालिक को गर्व महसूस कराता था।

यह देखकर कि मालिक घोड़े से ज्यादा प्यार करता है गधे को हमेशा ही जलन महसूस होती थी। वह सोचता था कि मुझसे तो वह बोझ उठवाते हैं और घोड़े को घुड़सवारी के लिए ले जाते हैं। वह यह पक्षपात देकर हमेशा ही नाराज रहता था। एक दिन गधे ने घोड़े से कहा तुम्हारे जीवन में बहुत ही आनंद है। मालिक तुमसे बहुत प्यार करता है तुम्हारा ख्याल रखता है। तुम्हे वह घुड़सवारी के लिए लेकर जाता है और मुझे रुखा सुखा खाने को देता है और बोझ से लाद देता है। हालांकि घोड़ा जानता था की गधा कितना आलसी और कामचोर हैं। एक दिन जब मालिक ने गधे पर एक बोरा बोझ डाला और उसके साथ घर चल दिया।
रास्ते में गधे का दिमाग खराब हुआ और उसने वह बोरा फेंक दिया और वह वहां से भाग निकला। उसने अपने मालिक के साथ विश्वासघात किया। अगले दिन गधे ने जहां पर घोड़ा प्रतियोगिता के लिए भाग लेता था वहां पर जाकर सोचा कि वह भी प्रतियोगिता में भाग लेगा और सबकी छुट्टी कर देगा और अवश्य ही विजयी होगा। जैसे ही गधा प्रतियोगिता मैदान में पहुंचता है वहां से भगा दिया जाता है। यह कह कर बेइजत किया जाता है कि यह “घोड़ों की प्रतियोगिता है तुम जैसे गधों की नहीं”।यह सुनकर गधे को एहसास होता है कि उसने अपने मालिक के साथ विश्वासघात किया है। अब शर्म के मारे ना ही अपने घर वापस लौट सकता था।
यहां तक कि उसे खाने के लिए भी कुछ नहीं मिल रहा था। वह जहां भी जाता भगा दिया जाता । इसी तरह गधे को अपने किए पर शर्मिंदगी महसूस हुई और उसे यह बात समझ आ गई की “जिसका काम उसी को साजे”। उसे यह समझ आया कि घोड़े की क्षमता है कि वह घुड़सवारी प्रतियोगिता में शामिल हो सके और यह कार्य गधा कभी नहीं कर सकता। इस गधे ने अपने आलसीपन और काम से जी चुराने के कारण अच्छा मालिक और अच्छा घर गवाना दिया।
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी से जलन नहीं रखनी चाहिए और ना ही इस गधे की तरह आलस दिखाना चाहिए।
निष्कर्ष:
Aalsi Gadha Moral Story in Hindi – तो बच्चों में आशा करती हूं आप को हमारी यह unique आलसी गधे की कहानियां पसंद आई होगी अगर आपको यह रोचक लगी हो तो आप इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें और इन कहानियों को लेकर आप के मन में कोई प्रश्न हो या कोई भी सुझाव हो तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स पर कमेंट जरूर करें।