Top 11+ Class 7 Moral Stories in Hindi | Moral Stories in Hindi For Class 7 – 2023

Class 7 Moral Stories in Hindi – प्यारे बच्चों आज हम बात करने जा रहे हैं Top 12 moral stories in hindi for class 7 के बारे में। यह सब कहानियां हैं नैतिकता पर। इन कहानियों के द्वारा आप नैतिक शिक्षा के बारे में सीख ले पाओगे और इस सीख को आप अपने जीवन में अमल कर पाओगे। यह सभी कहानियां बहुत ही शिक्षाप्रद और रोचक हैं। यह कहानी खासकर मैंने आप छोटे बच्चों के लिए तैयार की है। इन कहानियों को पढ़ने के बाद आपको बेहद खुशी और मजा आएगा और इन कहानियों से सीख ले कर आप अपने भविष्य को संवार पाओगे और इंसानियत के क्षेत्र में अपना अच्छा कदम बड़ा पाओगे। 

उल्लू और हंस की कहानी – Class 7 Moral Stories in Hindi

प्यारे बच्चों आज मैं आपको सुनाने जा रही हूं उल्लू और हंस की कहानी बहुत पुरानी बात है। एक झील के किनारे एक प्यारा सा हंस रहा करता था। एक दिन अचानक वहां एक उल्लू भी रहने आया और दोनों में बहुत अच्छी मित्रता हो गई। 

वह दोनों साथ में रहने लगे और दोनों बहुत अच्छे मित्र बन गए।गर्मियों का मौसम आया वनतो उल्लू अपने पुराने घर वापस जाने लगा तो उसने हंस से भी कहा मित्र तुम भी मेरे साथ चलो हंस ने कहा जब झील सूख जाए तो मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा। 

कुछ समय बीत गया बहुत गर्मी के कारण झील सूखने लगी और वह हंस जाकर अपने मित्र के पास जाने की सोचने लगा। वह अपने उल्लू मित्र के पास बरगद के पेड़ में पहुंच गया। इतनी लंबी यात्रा के बाद हंस थका हुआ था और वह जल्दी से ही सो गया। शाम के समय अचानक से कुछ शिकारी वहां आ पहुंचे। 

वह बरगद के वृक्ष के नीचे आराम करने लगे तो अचानक से उल्लू उन्हें देख कर डर गया और वह जोर-जोर से चीखने लगा। उल्लू की आवाज सुनकर शिकारियों को यह एक अपशगुन का संकेत लगा और उन्होंने तीर उल्लू को मारा परंतु वह तीर हंस को जा लगा और हंस वहीं पर मर गया। 

उल्लू इसलिए बच गया क्योंकि वह अंधेरे में देख सकता था।  उसकी यह दशा देख उल्लू बहुत जोर जोर से रोने लगा और उसे बहुत दुख हुआ कि क्यों मेने उसे यहां आने की जिद की। 

नैतिक शिक्षा

तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि “नई जगह पर हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए”। 

तीन नालायक दोस्तों की कहानी – Class 7 Moral Stories in Hindi

यह कहानी है तीन नालायक दोस्तों की इन तीनों दोस्तों को पढ़ाई में कोई भी रुचि नहीं थी। यह बस हमेशा पार्टी ही करते रहते थे। यह तीनों हमेशा मस्ती करने के बारे में ही सोचते रहते थे। एग्जाम से पहले दिन भी यह पार्टी ही कर रहे थे और तभी एक दोस्त बोला कि हम कल एग्जाम्स में क्या लिखेंगे?

तो दो दोस्त ठहाके लगाकर हंसने लगे कि हम टीचर से झूठ बोलेंगे और एग्जाम होने से बच जाएंगे। अगले दिन तीनो नालायक दोस्त स्कूल पहुंचे और वो टीचर के पास जाकर झूठ बोलने लगे उन्होंने कहा कल रात हम शादी में गए थे। शादी से वापस आते हुए हमारी गाड़ी का टायर पंचर हो गया और हमारे पास एक्स्ट्रा टायर नहीं था। 

तो गाड़ी को धक्का देते हुए हमें घर तक पहुंचना पड़ा हम इतने थक गए थे कि हम पढ़ाई करने की हालत में नहीं थे तो हमने पढ़ाई नहीं की। क्या हम ये एग्जाम फिर कभी दे सकते हैं? तो टीचर ने कहा तुम तीनों का एग्जाम कल होगा। 

तीनों दोस्त घर जाकर पढ़ने लगे और अगले दिन सुबह वह स्कूल आए तो टीचर ने आते ही उन्हें क्वेश्चन पेपर दे दिया जिस में सिर्फ दो ही प्रश्न थे। एक तो उनका नाम और दूसरा गाड़ी का कौन सा टायर पंचर हुआ था और उन चारों को अलग-अलग कमरे में बिठा दिया क्योंकि उन्होंने झूठ बोला था।

तो उन्हें पता नहीं था कि कौन सा टायर पंक्चर लिखना है तो चारों के उत्तर अलग-अलग थे। जब टीचर ने उनकी आंसर शीट देखी तो चारों के उत्तर अलग-अलग थे और टीचर ने उनका झूठ पकड़ लिया।

नैतिक शिक्षा

तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “झूठ हमेशा पकड़ा जाता है इसलिए हमें सदैव सच बोलना चाहिए”।

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फल सब्जियाँ या मोमो चाउमीन – Class 7 Moral Stories in Hindi

यह कहानी है एक सुंदर से शहर चंडीगढ़ की। वहां एक परिवार रहा करता था। परिवार में माता-पिता और दो प्यारे बच्चे रहा करते थे। भाई का नाम था ऋषि और बहन का नाम था मिष्टी। यह दोनों बच्चे खाने में सिर्फ और सिर्फ जंक फूड पसंद करते थे। जैसे कि मोमो, चाउमिन और पिज़्ज़ा इत्यादि, सब्जियां और फल इन्हें बिल्कुल भी नहीं भाता था। इनके माता-पिता दोनो को बहुत समझाते थे कि तुम्हें फल और सब्जियां खानी चाहिए वरना तुम्हारे शरीर में किसी ना किसी विटामिन की कमी हो जाएगी और तुम्हारी आंखें कमजोर हो सकती हैं। पर यह बच्चे अपने माता-पिता की एक नहीं सुनते है। 

फल सब्जियाँ या मोमो चाउमीन - Class 7 Moral Stories in Hindi

एक दिन इनकी माता ने यह ठान लिया कि आज मैं बच्चों को प्यार से समझा कर ही रहूंगी। उन्होंने दोनों बच्चों को अपने पास बुलाया उन्हें बहुत ही नम्रता से समझाया कि फल और सब्जियां खाने के क्या फायदे हो सकते हैं और जंक फूड खाने से कितने नुकसान हो सकते हैं। 

उनकी बेटी मिष्टी तो समझ गई और उसने कहा मां मुझे माफ करना मैं आज से आप जैसा कहोगे मैं वैसा करूंगी। मैं फल और सब्जियां खूब खाऊंगी और उसने फल और सब्जियां खाना शुरु कर दिया पर उसका भाई ऋषि जिद्दी बच्चा था। वह नहीं माना उसने कहा मुझे तो जंक फूड ही खाना पसंद है मैं तो यही खाऊंगा। 

कुछ दिन बीत गए ऐसे ही चलता रहा एक दिन क्लासरूम में टीचर ने ऋषि से पूछा कि इस सवाल का जवाब दो टीचर ने ब्लैक बोर्ड पर लिखा था 10+2 कितने होते हैं? और ऋषि ने ब्लैक बोर्ड की ओर देखा और उसे सब कुछ धुंधला नजर आने लगा। उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था कि ब्लैकबोर्ड में आखिर लिखा क्या है। 

वह उत्तर देने में असमर्थ रहा और टीचर ने ऋषि को खूब डांटा और कहा कि तुम्हें इतना आसान सवाल भी नहीं आता। टीचर ने तुरंत ऋषि के माता-पिता को कॉल किया और उन्हें स्कूल बुला लिया। स्कूल पहुंचते ही ऋषि उन्हें देखकर खूब रोने लगा। उसके माता-पिता ने भी डांटा कि तुम इतना आसान सवाल 10+2 कितने होते हैं ये नहीं बता सकते ऋषि ने कहा मुझे पता है कि 10+2=12 होते हैं पर मुझे ब्लैक बोर्ड में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था मुझे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। 

तो उसके माता-पिता समझ गए कि इसकी आंखों में कमजोरी की वजह से ऐसा हुआ है और उसकी माता ने कहा ऋषि मैं तुम्हें समझाती थी कि फल और सब्जियां खाना हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है पर तुम मेरी एक न सुनते थे। आंखों में कमजोरी तुम्हें विटामिन A की कमी की वजह से हुई है। 

इसीलिए कहती थी कि तुम फल सब्जियां गाजर खूब खाओ तो ऋषि अपने माता-पिता से माफी मांगता है और वह अगले दिन से ही खूब सारी फल सब्जियां खाना शुरू कर देता है। वह सारे जंक फूड खाना छोड़ देता है। और वहीं दूसरी ओर मिष्टी उसने अपनी माता की बात मानी और इसी कारण वो आज स्वस्थ थी और उसकी आंखें भी कमजोर नहीं थी। 

नैतिक शिक्षा

तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि “हमें अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए क्योंकि माता-पिता हमेशा हमारे भले के बारे में सोचते हैं कभी बुरा नहीं सोचते’। 

झट से भरोसा करने का परिणाम – Moral Stories in Hindi For Class 7

यह कहानी है एक बहुत ही घने जंगल की जहां पर एक चूहा कोकोनट पेड़ के आसपास बिल बना कर रहा करता था। एक दिन जब वह चूहा अपने बिल में आराम कर रहा था तो एक बड़ा सा नारियल उस पेड़ से गिर गया और उस नारियल की आवाज इतनी जोरदार थी कि वह चूहा एक दम से उठ गया और घबरा गया और जोर-जोर से चीखने लगा भागने लगा पूरे जंगल में यह खबर फैला दी की धरती दो भागों में फट रही है। भागो भागो धरती फट रही है यह सुनकर सभी जानवर तेजी से भागने लगे इस खबर ने पूरे जंगल में उथल-पुथल मचा दी। 

वह सभी जानवर कुछ ही दूर पहुंचे थे तो वहां पर एक लोमड़ी आई। उसने कहा तुम सब कहां भाग रहे हो? तभी वहां भीड़ में भाग रहे खरगोश ने कहा की धरती दो भागों में फट रही है। हम अपनी जान बचा कर भाग रहे हैं बेहतर होगा अगर तुम भी हमारी भीड़ में भागने के लिए शामिल हो जाओ। तो लोमड़ी ने कहा धरती कहां फट रही है जरा मैं भी तो देखूं। तो चूहे ने सारी बात उसे बताई और वह लोमड़ी उसी जगह पर जा पहुंची और उसने देखा कि वहां पर एक बड़ा सा कोकोनट गिरा पड़ा है। यह देख कर चालाक लोमड़ी सब समझ गई और जोर जोर से ठहाके लगाकर चूहे की बेवकूफी पर हंसने लगी। 

नैतिक शिक्षा

तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि “हमें दूसरों की बात पर झट से भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि एक बार बात की जांच पड़ताल खुद कर लेनी चाहिए”। 

हार से कभी डरे नहीं – Moral Stories in Hindi For Class 7

आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की कहानी। जहां एक लड़की अपने माता-पिता के साथ रहा करती थी। उसका नाम था गौतमी। वह पढ़ाई लिखाई में बहुत अच्छी थी उसका सपना था कि वह यूपीएससी क्रैक करें और आईएएस बने।

अपनी ग्रेजुएशन के बाद उसने IAS की तैयारी करने की ठानी इसी तरह समय बीतता गया और उसकी तैयारी चलती रही और एक दिन वह घड़ी आ ही गई और उस दिन गौतमी का आईएएस एग्जाम था। वह अपने एग्जाम सेंटर पहुंच गई और अपना एग्जाम दे आई।

एग्जाम लिखने में उसे कई प्रश्न तो आते थे और कई प्रश्न में वह असमर्थ थी! उसने कहीं से कोचिंग भी नहीं ली थी और सेल्फ स्ट्यूडी ही कर रही थी। चूंकि वह एक गांव में रहती थी और वहां कोचिंग की सुविधा नहीं थी। जब वह एग्जाम देकर वापस आई तो उसके चेहरे पर खुशी नहीं थी वह बेबस लग रही थी और परेशान भी।

उसके पिता उससे बहुत उम्मीद लगाए बैठे थे जैसे ही वे घर पहुंची तो उसके पिता ने कहा बेटा एग्जाम कैसा हुआ गौतमी ने बहुत ही परेशानी भरे और नम आंखों से उत्तर दिया कि पिताजी ठीक ही हुआ है और अब उसे चिंता होने लगी पर उसने अपनी तैयारी रोकी नहीं उसने वह तैयारी जारी रखी और उसके दिमाग में कहीं ना कहीं यह बात थी कि फर्स्ट अटेम्प्ट में अगर उसका एक्जाम क्वालीफाई नहीं होता है तो वह अगले प्रयास में जरूर इसे क्वालीफाई करेगी।

उसने घर आकर अच्छे से प्रश्न देखें और उसे एहसास हुआ कि उसकी तैयारी में क्या क्या कमी थी उसने डायरी में वह सब कमियों को नोट किया! और ये ठाना की वह अब उन कमियों को दूर करेगी! एग्जाम के अगले दिन ही उसने एकजुट हो कर तैयारी शुरू कर दी और उन कमियों को दूर करने में अपने दिन-रात लगा दिए और जब अगली दफा उसका एग्जाम आया। 

एग्जाम का दिन आया और इस बार उसने अपनी कमियों को दूर करके तैयारी की थी और वह एग्जाम हॉल में पहुंची और बहुत ही विश्वास और बुद्धि से हर एक सवाल का जवाब लिखा और जब वह एग्जाम हॉल से बाहर आई तो उसके मन में खुशी का कोई ठिकाना न था।

गौतमी जैसे ही घर पहुंची उसने पिता को गले लगाया और विश्वास दिलाया कि इस बार वह आईएएस बन कर रहेगी।  कुछ ही दिनों बाद रिजल्ट आता है और वह उत्तीर्ण हो जाती है।  अब वह गोतमी नहीं IAS गौतमी बन चुकी थी। 

नैतिक शिक्षा

तो दोस्तों इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि “कई बार हार भी जरूरी होती है। तो वह सबक है जो आपको बेहतर होने का मौका देती है तो हार से कभी डरे नहीं”।

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Moral Stories on Respecting Elders in Hindi – अपने बड़े – बुजुर्गों के सम्मान की कहानी।

ज्यादा की इच्छा करना व्यर्थ – Moral Stories in Hindi For Class 7

आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं हिल स्टेशन शिमला की कहानी जो कि एक बहुत ही सुंदर पहाड़ी पर बसा हुआ शहर था। उस शहर में कपिल नाम का एक आदमी रहा करता था। वह मिडिल क्लास परिवार से संबंध रखता था जो कि बहुत ही नकचड़ा और हमेशा गुस्से में रहने वाला इंसान था। वह हमेशा कूड़ता रहता था और भगवान को दोष देता रहता था कि उसे गरीब क्यों बनाया। उसके इसी व्यवहार के कारण आसपास के लोग भी उसे पसंद नहीं करते थे। 

एक बार वह अपनी मोटरसाइकिल से घर वापस आ रहा था और रास्ते में अचानक उसका एक्सीडेंट हो गया। एक्सीडेंट के कारण उसके पैर में बहुत चोट लग जाती है और उसका फ्रैक्चर हो गया। आसपास के लोग उसे उठाकर हॉस्पिटल ले आते हैं। वहां छोटा सा हॉस्पिटल था वहां इसका पूरा इलाज ना होने के कारण वह उसे किसी अन्य शहर चंडीगढ़ बड़े हॉस्पिटल में रेफर करवा देते हैं।

वहीं से अब उसका इलाज चलता है पैसों की कमी आभाव के कारण वह बहुत परेशान होता है। उसके परिवार वाले भी बहुत परेशान होते हैं इसी तरह कुछ दिन बीते गए उस बड़े हॉस्पिटल में आकर उसे यह एहसास होता है कि उसका दुख तो कुछ भी नहीं है उसे तो भगवान ने इतनी सुंदर पहाड़ी इलाके में बसाया है उसे सब कुछ दिया है।

वह चंडीगढ़ के हॉस्पिटल में मरीजों के हालात देखकर बहुत हैरान हो जाता है। वहां उसे एहसास होता है कि वहां लोगों के पास रहने की व्यवस्था तक नहीं है। वह लोग कहीं भी छोटी सी जगह मिलने पर वही विश्राम कर रहे थे। वही भोजन कर रहे थे उनका कोई ठिकाना नहीं था। तब उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वह भगवान से क्षमा मांगता है।

इस बार वह भगवान से शिकायत नहीं करता बल्कि परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि परमेश्वर ने उसे ऐसा जीवन दिया अच्छा परिवार दिया सब कुछ दिया और इतनी अच्छी जगह उसे जन्म दिया।

नैतिक शिक्षा

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि “हमारे पास जितना भी है पर्याप्त है और उसी में खुश रहना चाहिए। “ज्यादा की इच्छा रखना व्यर्थ” है”। 

बन्दर को लगा बिजली का झटका – Class 7 Moral Stories in Hindi

आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं दो बंदरों की दोस्ती की कहानी यह कहानी है दो बंदरों की जो कि बहुत ही घनिष्ट मित्र थे। एक का नाम था चंकी और दूसरे का नाम था मंकी वह दोनों बचपन से ही साथ खेलते कूदते पेड़ पर चढ़ते लटकते और कहीं भी खाने को मिलता तो साथ खाते।

इसी तरह उनका जीवन यापन होता था। वह जंगल से शहर की ओर आते मंदिरों में जो प्रसाद मिलता उसे खाने के लिए। इसी तरह दिन बीतते गए।

बन्दर को लगा बिजली का झटका - Class 7 Moral Stories in Hindi

एक दिन चंकी ,मंकी को ढूंढने लगा और वह कहीं नहीं मिला। चंकी परेशान होकर उसे सारे जंगल में और जहां भी वह खेलते कूदते समय बिताते हर जगह ढूंढने लगा और शहर में हर जगह ढूंढा पर मंकी कहीं नहीं मिला। वह थक हार एक मंदिर के किनारे पहुंचा अचानक से उसे मंकी के चीखने की आवाज सुनाई दी।

मंकी मंदिर की बिजली के तारों में उलझ गया था और वह चीखने चिल्लाने लगा उसे करंट लग गया था और वह अचानक से नीचे गिर गया और बेहोश हो गया। चंकी घबरा जाता है और मंकी को उठाया तो वह कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। मंदिर के पास से जाने वाली एक छोटी सी नहर में चंकी ने मंकी को डुबाया और उसे होश में लाने की कोशिश की।

उसकी छाती को दबाया और मुंह के द्वारा उसे सांस भी दी। ऐसे करते करते अचानक से मंकी की आंखें खुल जाती है और वह दुबारा से होश में आ जाता है। उसे होश में आता देख चंकी बहुत खुश हो जाता है और चेन की सांस लेता है।

नैतिक शिक्षा

बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि “सच्चे दोस्त ही आपके जीवन में काम आ सकते हैं – इसीलिए दोस्त सोच समझकर चुने”। 

कोरोना का कहर | Corona Virus Story | Class 7 Moral Stories in Hindi

एक समय की बात है पूरे विश्व में एक खतरनाक बीमारी ने जन्म लिया और यह बीमारी पूरे विश्व में आग की तरह फैल गई। उस बीमारी का नाम था “कोरोना” इस बीमारी के संक्रमण से हजारों करोड़ों लोगों की जान चली गई। हर एक इंसान कोरोना के प्रभाव और संक्रमण से डरा हुआ था। पूरा विश्व लॉकडाउन से गुजर रहा था किसी को भी बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। 

सभी अपने घरों में चार दिवारी में कैद हुए थे। सभी बहुत परेशान और ईश्वर को याद करते थे। इसी तरह हर परिवार में कोई न कोई संक्रमित हो रहे थे। आए दिन हजारों करोड़ों लोगों की मृत्यु की खबरें हम लगातार टीवी और अखबारों में सुन रहे थे जो कि सभी को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा था। इसी तरह एक परिवार में रमेश नाम का आदमी रहता था उसे भी कोरोना का संक्रमण हो गया वह एक बहुत ही खड़ूस ,निर्दई और व्यवहार से कड़वा इंसान था। 

वह अपने परिवार से हमेशा लड़ता झगड़ा रहता था कभी भी अपने परिवार की अहमियत नहीं समझता था । अपने माता-पिता पत्नी बच्चों को हमेशा दुखी करता रहता था। उसका परिवार उसके व्यवहार से बहुत परेशान था। इसी तरह जब वह संक्रमित हो गया तो उसका पूरा परिवार बौखला गया और परेशान हो गया। 

वह अपने परिवार से दूर हो गया उसे हॉस्पिटल में क्वारेंटिन कर कर दिया गया था। उस हॉस्पिटल के ICU के चारदीवारी में उसे यह एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी भूल की है। जीवन में कितने अजीज और अहमियत लोगों को नीचा दिखाया है कभी उनसे प्रेम से बात नहीं की उसे अपनी हर एक वह गलतियां याद आने लगी जो उसने अपने पूरे जीवन भर की। 

अपने माता-पिता का सम्मान ना करना। अपनी पत्नी से हमेशा लड़ते झगड़ते रहना। अपने बच्चों को वक्त ना देना। यह सभी उसे हॉस्पिटल के चारदीवारी में रहकर याद आने लगा और वह फूट-फूट कर रोने लगा। 

अब उसे अपने परिवार की याद आने लगी पर उसे परिवार से मिलने नहीं दिया जाने लगा इसी तरह कई दिन बीत गए और बहुत ही मुश्किलों से वह स्वस्थ हो गया और उसे वापस घर भेज दिया गया। घर आते ही उसने अपने माता पिता के चरणों को स्पर्श किया उन्हें प्यार से गले लगाया और उनसे क्षमा मांगी। उसने कहा माता-पिता मुझे क्षमा कर दो। अब तक मैंने जो भी किया है मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है अपनी पत्नी को गले लगाया और बच्चों को खूब सारा प्यार किया। 

नैतिक शिक्षा

तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “मुश्किलों और कठिनाइयों के समय में हमें अपने परिवार और अजीजों की याद आती है इसलिए हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करें और अपने परिवार के साथ मिलजुल कर रहे”। 

किसान और खजाने का रहस्या – Class 7 Moral Stories in Hindi

आज आपको सुनाने जा रही हूं हरियाणा के एक छोटे से गांव की कहानी इस गांव में एक किसान हरिया अपने दो बेटों के साथ रहा करता था इस किसान के बेटे दोनों ही बहुत ही जवान और शारीरिक रूप से स्वस्थ और हट्टे कट्टे थे। पर उनकी एक कमजोरी थी कि वह कामचोर थे वह मेहनत नहीं करना चाहते थे हमेशा मेहनत से पीछे भागते थे।

यह बात उनके किसान पिता को अच्छी नहीं लगती थी वह उनके भविष्य की चिंता करते थे कि अगर मेरे मरने के बाद मेरे बेटों ने मेहनत नहीं की तो वह अपना जीवन यापन कैसे करेंगे? तो इसी चिंता में वह उन्हें समझाया करते थे पर उनके बेटे उनकी एक न सुनते।

किसान और खजाने का रहस्या - Class 7 Moral Stories in Hindi

एक दिन जब वह किसान काफी समय से बीमार थे। जब उन्हें लगा कि उनकी मृत्यु उनके निकट है तो उन्होंने अपने दोनों बेटों को अपने पास बुलाया और उन्हें कहा कि मेरी मृत्यु किसी भी समय हो सकती है तो मैंने एक राज तुम दोनों से छिपा रखा था। जो मुझे अब बता देना चाहिए सही समय आ गया है।

उन्होंने कहा हमारे खेत में मैंने एक गड्ढा खोदकर बहुत समय पहले कुछ खजाना छुपाया था। तो अब तुम्हें उस खेत को खोदकर उस खजाने को निकालना है। यह कहकर किसान ने अपनी आंखें बंद की और वह स्वर्ग सिधार गए। जब उनके बेटों ने उनका क्रिया कर्म किया और वह अगले दिन ही अपना फावड़ा लेकर खेत पहुंचे और उस खजाने की खोज में उन्होंने पूरा खेत खोद दिया।

पर उन्हें वह खजाना कहीं नहीं मिला। वह थके हारे घर पहुंचे और उन्हें लगा पिताजी ने क्या हमसे झूठ बोला है तो इसी तरह दिन बीत गए वह और सभी खेतों को भी खोदते रहे पर उन्हें वह खजाना नहीं मिला। कुछ दिनों बाद अच्छी खुदाई के कारण उन सभी खेतों में फसल बहुत ही अच्छी और गुणवत्ता वाली हुई अच्छी फसल होने के कारण उन्हें पैसा भी अच्छा मिला उन्होंने बहुत ही धनराशि कमाई।

जब वह खूब सारा धन लेकर घर वापस आए तो उन दोनों बेटों को यह बात समझ आई कि उनके पिता ने झूठ नहीं बोला था बल्कि सत्य कहा था कि इस खेत को खोदो मेने तुम्हारे लिए खजाना रख छोड़ा है तो उन्होंने आसमान की ओर देखा और खुश हुए और अपने पिता को याद किया।

नैतिक शिक्षा

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि “मेहनत हमेशा रंग लाती है इसलिए मेहनत से कभी डरे नहीं”

महात्मा बुद्ध की कीमती शिक्षा – Moral Stories in Hindi For Class 7

आज हम आपको सुनाने जा रहें हैं महात्मा बुद्ध के जीवन की एक शिक्षाप्रद कहानी एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ जंगल की ओर चल दिए। वह रास्ते में अपने शिष्यों की परीक्षा भी लेते थे और उन्हें सीख भी देते थे। इसी तरह वह चलते गए और एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे।

महात्मा बुद्ध को बहुत प्यास लगी थी तो उन्होंने अपने शिष्य को आज्ञा दि कि वह पानी ले आए। वह शिष्य नदी की ओर चल दिया और उसने देखा कि नदी का पानी तो बहुत ही गंदा आ रहा है उसमें मिट्टी कीचड़ पत्ते और बहुत ही गंदगी है तो वह वापस चला आया।

महात्मा बुद्ध ने उसे खाली हाथ देखकर पूछा कि तुम खाली क्यों आए उसने सारी बात बताई, तो बुद्ध ने दूसरे शिष्य को भेजा कहा कि तुम पानी लेकर आओ दूसरे शिष्य को पानी लाने में थोड़ा समय लग गया। जब वह वापस आया तो एक साफ जल लेकर आया और उसने महात्मा बुद्ध को ग्रहण करने के लिए दिया महात्मा बुद्ध ने कहा यह जल तो बिल्कुल साफ है दूसरे शिष्य से पूछा तुम तो कह रहे थे जल स्वच्छ नहीं दूषित था।

बुद्ध ने दूसरे शिष्य से पूछा कि तुम यह पानी कहां से लाए हो शिष्य ने कहा कि मैं उसी नदी से लाया हूं दरअसल वह पानी कुछ जानवरों के नदी पार करने की वजह से गंदा हुआ था। मैंने कुछ देर इंतजार किया जैसे ही मिट्टी बैठ गई और और साफ पानी के बहाव से सारा गंदा पानी बह गया और दुबारा से साफ सुथरा और निर्मल जल बहने लगा और उस जल को लेकर आया हूं।

नैतिक शिक्षा:

महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्य को सिखाया कि जीवन में कठिनाइयां परेशानियां आना कोई नई बात नहीं है बल्कि जब जीवन में कष्ट और परेशानी आए तो हमें दुगुना मेहनत से दोगुना धैर्य से हर एक समस्या का डट कर सामना करना चाहिए।

बर्फीले पहाड़ और परिक्षा के दिन – Moral Stories in Hindi For Class 7

यह कहानी है हिमाचल प्रदेश के छोटे से बर्फीले गांव की जहां एक परिवार में दो भाई-बहन अपने माता पिता के साथ रहा करते थे! भाई का नाम था नितिन और बहन का नाम था वेदिका! वेदिका पढ़ाई लिखाई में बहुत ही होशियार थी और वह समय का सदुपयोग करना बहुत अच्छे से जानती थी! वहीं दूसरी तरफ उसका भाई नितिन पढ़ाई में एकदम निठला नालायक और समय का बिल्कुल भी कदर नहीं करता था ! ऐसे ही समय

बीतता गया एकदिन टीचर ने कहा कि एक हफ्ते में उनकी परीक्षा होगी यह सुनकर वेदिका ने अपनी पढ़ाई को और समय देना शुरू कर दिया और वहीं दूसरी तरफ उसका भाई काम चोरी करने लगा और हमेशा यह कह कर बहाने बनाने लगा कि मैं कल पढ़ाई करूंगा। वह हर काम को इसी प्रकार ही टाला करता था।

उसकी बहन वेदिका उसे बहुत समझाया करती थी पर वह उसकी एक नहीं सुनता था उसके माता-पिता भी उसे बहुत समझाते थे। समय बीतता गया और एक दिन परीक्षा का दिन नजदीक आ गया और उस दिन वेदिका जमकर अपने कमरे में पढ़ाई करने लगी और वही नितिन यह कहकर खेलने निकल गया कि मौसम बहुत सुहावना है मैं खेलने के बाद जमकर पढ़ाई करूंगा और अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो जाऊंगा पर उसके पिता समझाते रहे कि तुम वेदिका से कुछ सीखो पर वह किसी की सुनता ही नहीं था।

वेदिका परीक्षा से एक दिन पहले अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी और पी अचानक से आंधी तूफान चलने लगी वेदिका को चिंता हो गई कि अगर इसी तरह आंधी तूफान रहा और बारिश, बर्फ पड़ने लगी तो बिजली कट सकती है। अक्सर पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के दौरान बिजली कट जाता करती थी

तो उसने अपने भाई को आवाज दी और समझाया कि तुम जल्दी से आओ मौसम के हाल से यह मालूम होता है कि बर्फ पड़ने वाली है और बिजली कट सकती है पर उसने अपनी बहन की एक न सुनी और वह अपनी धुन में खेलता रहा और कुछ ही देर में तेज तूफान और बर्फ पड़ने लगी और नितिन एकदम से बौखला गया परेशान हो गया और वह दौड़ता दौड़ता घर पहुंचा घर पहुंचे उसके देखा कि बिजली तो कट चुकी है।

अब वह फूट-फूट कर रोने लगा और यह कहने लगा कि मैं कल परीक्षा में क्या लिखूंगा मैंने तो अभी पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं की है मैंने सोचा था मैं रात भर पढ़कर कल परीक्षा में बहुत अच्छे से लिखूंगा अब मेरा क्या होगा। तो उसके पिता ने कहा मैं तुम्हें समझाता था कि तुम अपना काम समय पर करो काम को मत टाला करो देख लिया काम टालने का नतीजा

अब कल क्या करोगे तभी पीछे से उसकी बहन की आवाज आती है कोई बात नहीं नितिन भैया मेने समय पर सब कुछ पढ़ लिया था सारा सिलेबस कवर कर दिया था अब मैं तुम्हें अच्छे से समझा दूंगी और तुम्हें सारा पाठ याद करवा दूंगी इसी तरह रातभर उसकी बहन ने उसे अच्छे से पढ़ाया समझाया और अगले दिन दोनों भाई-बहन खुशी-खुशी परीक्षा देने चले गए और वे दोनों परीक्षा में बहुत अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो गए।

नैतिक शिक्षा

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है “जो करे समय का सम्मान,भविष्य में वो कहलाए महान – इसलिए हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए”।

CONCLUSION:

Moral Stories in Hindi For Class 7 – तो प्यारे बच्चों मैं आपसे आशा करती हूं कि आपको हमारी यह top 12 Moral story in hindi for class 7 पसंद आई होंगी। इन कहानियों को पढ़कर आपने बहुत कुछ सीखा और समझा होगा अगर यह कहानियां आपको अच्छी लगी तो आप इसे अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ शेयर जरूर करें और top 12 Moral stories in hindi for class 7 पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद। अगर आपको इन कहानियों से सम्बंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव हो तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट जरूर करें हमें बहुत ख़ुशी होगी। 🙏

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1.क्या Top 10 Moral Stories in Hindi से हमें नैतिक शिक्षा का ज्ञान मिल सकता है?

जी हां। आप बिल्कुल सही जगह पर हैं अगर आप नैतिक शिक्षा का ज्ञान पाना चाहते हैं। यह कहानियां मजेदार होने के साथ साथ बहुत है शिक्षाप्रद हैं।

2. क्या इन कहानियों में चित्रों का इस्तेमाल किया गया है?

जी हां। इन कहानियों को और भी मजेदार और पढ़ने में आसान बनाने के लिए हमने इसमें चित्रों का इस्तेमाल किया है। ताकि यह कहानियां बड़ों के साथ साथ बचे भी पढ़ सकें।

3. यह कहानियां बच्चों के लिए पढ़ने योग्य है?

जी हां। यह कहानियां खास हमने बच्चों का ध्यान रख कर बनाई हैं। ताकि बड़ों के साथ साथ बच्चे भी इन कहानियों का लुफ्त उठा सकते हैं और इनसे अच्छी सीख ले सकते हैं और अच्छे बुरे का ज्ञान समझ सकते हैं।

4. क्या इन कहानियों के अंत में नैतिक शिक्षा दी गई है?

जी हां। हर एक कहानी के अंत में आपको short and sweet सी नैतिक सीख दी गई है। जो समझने में बहुत आसान है।

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