Top 10 Comedy Moral Stories in Hindi | Comedy Moral Stories – हास्य नैतिक कहानिया हिंदी में – 2023

Comedy Moral Stories in Hindi – नमस्कार 🙏 दोस्तों अगर आप भी internet पर सर्च कर रहें हो Comedy Moral Stories in Hindi तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हो आज हम आपके लिए लेकरआए हैं बहुत ही मजेदार हंसीदार कहानियां जिन्हें पढ़कर आपको बहुत ही गुद गुदी महसूस होगी और आपका मन खुश हो जाएगा।

हम इन कहानियों के द्वारा केवल आपका मनोरंजन ही नहीं बल्कि आपको बहुत महत्वपूर्ण सीख भी देना चाहते हैं। यह हंसीदार कहानियां आपको भी ठहाके लगाकर हंसना सिखा देगी अगर आप किसी कारण वश उदास हो तो आपको यह कहानियां जरूर पढ़नी चाहिए।

मैं दावा करती हूं कि यह कहानियां पढ़कर आपको बेहद अच्छा महसूस होगा और आपको बहुत हंसी भी आएगी।तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए शुरू करते हैं आज की कहानी:

1.भुक्कड़ पेटूलाल की हंसीदार कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

बहुत पुरानी बात है एक गांव में पेटू लाल नाम का आदमी रहा करता था। वह अपनी पत्नी के साथ एक छोटे से घर में रहता था। पेटू लाल की एक बुरी आदत थी वह बहुत भुक्कड़ आदमी था और खूब सारा खाना खाता था। गांव के लोग उसे किसी दावत में निमंत्रण भी नहीं देते थे।

जब पेटूलाल किसी भी दावत में जाए तो दावत का पूरा खाना अकेला ही खा जाया करता था। वह पेटू लाल खाने के लिए बहुत लालची था उसका ना कभी मन और ना ही कभी पेट भरता था। सभी गांव के लोग बहुत परेशान थे।

एक दिन गांव में कमलनाथ की बेटी की शादी थी। कमलनाथ ने पूरे गांव को निमंत्रण दिया सिवाए पेटू लाल के जब पेटू लाल को इस बात की खबर हुई कि कमलनाथ की बेटी की शादी है पर उसे तो कोई निमंत्रण भी नहीं मिला।

वह परवाह ना मारते हुए ना किसी की लज्जा करते हुए नहा धोकर तैयार हो जाता है। पेटुलाल की पत्नी अपने पति से पूछती है कि आप इतना सज धज कहां जा रहे हो? वह कहता है कमलनाथ की बेटी को आशीर्वाद दे आता हूं।

भुक्कड़ पेटूलाल की हंसीदार कहानी - Comedy Moral Stories in Hindi

जब उसकी पत्नी कहती है आप तो निमंत्रित हो ही नहीं हो तो आप कैसे जा सकते हो? वह कहता है कोई बात नही शादी की तयारियों में व्यस्त कमलनाथ भूल गया होगा वरना तो मैं उसका जिगरी दोस्त हूं। कोई बात नही में अपना फर्ज निभा कर आता हूं।

पर उसकी पत्नी सब जानती थी कि आशीर्वाद के बहाने खूब सारा भोजन खाने जा रहे हैं। शादी धूमधाम से चल रही थी जब तक कि पेटू लाल वहां पहुंच नही जाता। जैसे ही पेटू लाल शादी के घर पहुंच जाता है।

कमलनाथ की आंखें फटी की फटी रह जाती है वह पेटू लाल को देखकर घबरा जाता है। पेटू लाल से कहता है कि आप तो निमंत्रित हो ही नही। यह सुन पेटूलाल कहता है कोई बात नहीं तुम्हारी बेटी मेरी बेटी के समान ही तो है मैं उसे आशीर्वाद देने आया हूं।

पेटूलाल झट से शादी के समारोह में घुस जाता है और वह किसी से पूछता है कि भाई खाने की व्यवस्था कहां की गई है? जल्दी-जल्दी मुझे वहां लेकर जाओ। यह सुन आसपास के लोग हैरान हो जाते हैं सभी लोग उसे देख कर हंसते हैं और घर का मालिक कमलनाथ घबरा जाता है।

वह सोचता है कि यह पेटुलाल तो सारा खाना ठुस लेगा और मैं शादी में आए अथितियों को क्या खिलाऊंगा। वह अभी सोच ही रहा था कि पेटूलाल छत पर लगे खाने की व्यवस्था में पहुंचता है और वह खाना बांटने वाले रामू काका से कहता है कि दो बाल्टी दाल लेकर आओ और एक टोकरी पूरियां लेकर आओ।

रामू काका यह सुनकर हैरान हो जाता है। दूसरी और पेटुलाल ना आव देखा न ताव और जी भर कर खाने लगा। वह दो बाल्टी दाल , कई सारी टोकरियां गर्मा गर्म पूरियों की और 2 हांडी हलवा खा जाता है साथ ही साथ 50 रसमलाई , 20 गुलाब जामुन खाता है और 5 बड़े ग्लास लस्सी के गट गट कर पी जाता है।

यह सब देख शादी में आए लोग हैरान हो जाते हैं और उसका मोटा पेट देख हंसने लगते हैं और कमलनाथ के घर पर तो खाना भी खत्म हो गया था। आधे लोग बिना खाना खाए ही नाराज होकर चले जाते हैं।

पेटूलाल इतना खाकर मज़े से अपने घर की ओर चल देता है और कमलनाथ अपना सिर पकड़ कर बैठ जाता है। इसी तरह दिन बीतते गए आसपास के गांव की औरतें पेटूलाल की पत्नी को बहुत ताना मारा करती थी। वह यह कहा करती थी कि तुम्हारा पति इतना कैसे खा सकता है?

क्या तुम उसे घर पर खिलाती नहीं हो। यह सब चलता रहा एक दिन राजा के घर उनके बेटे का अन्नप्राशन की दावत रखी थी। लेकिन हमेशा की तरह पेटू लाल को निमंत्रण नहीं था पर पेटू लाल फिर भी बिना शर्म किए राजा के महल पहुंच जाता है।

राजा के यह कहने पर कि तुम्हें तो निमंत्रण है ही नहीं पर वह खाने की थाली लेकर बैठ जाता है तो राजा भी कहते हैं कोई बात नही अब तुम आ ही गए हो तो खा कर ही जाओ। राजा को एक चाल सूझी वह सोचता है क्यों ना आज इसे सबक सिखाया जाए।

वह अपने तीन पहलवानों को बुलाता है और पेटूलाल से कहता है कि तुम्हे खाने की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना होगा और दूसरी तरफ मेरे 3 पहलवान होंगे। देखते हैं कौन सबसे ज्यादा खाता है। यह सुन पेटूलाल के मुंह में पानी आ जाता है और वह कहता है आज का दिन तो बहुत शुभ है। मुझे इतना स्वादिष्ट भोजन जी भर खाने को मिलेगा।

इस प्रतियोगिता में तो मैं ही जीतूंगा। राजा के 3 हट्टे कट्टे पहलवान एक तरफ और पेटू लाल और उसका बड़ा पेट एक तरफ। जैसे ही प्रतियोगिता शुरू की जाती है। वह सभी खाने को देख उसपर टूट पड़ते है। खाने में कढ़ाई पनीर, गर्मा गर्म चने भटूरे , शाही मटर पनीर एवं खूब सारी मिठाइयां जैसे की गुलाबजामुन, बर्फी, चम चम इत्यादि वह भरपेट खाते हैं। भूख से ज्यादा ही खा लेते हैं जीतने के चक्कर में।

खाते-खाते उन्हें अब उल्टी और चक्कर आने लगते हैं। राजा के पहलवान तो कुछ ही देर में थक कर बेहोश हो जाते हैं।वही दूसरी और पेटुलाल जबरजस्ति अभी भी ठूस ही रहा होता है। कुछ देर बाद अब उससे एक दाना भी निगला नहीं जा रहा था। उसकी हालत खराब थी आसपास के लोग पेटू की हालत देख ठहाके लगाकर हंसने लगे।

वह लोग पेटूलाल को देख कर हंस रहे थे कि इतना कोई कैसे खा सकता है? वह उन लोगों के सामने मजाक का पात्र बन गया था। वह बात तक नहीं कर पा रहा था क्योंकि उसने जरूरत से ज्यादा खा लिया था अब उसका सर चकरा रहा था तो राजा ने कहा कि क्या तुम्हें बात समझ में आई कि हमें जितनी भूख हो उतना ही खाना चाहिए।

अगर लंबे समय तक खाना चाहते हो और अपने जीवन को खुशहाली से जीना चाहते हो तो थोड़ा-थोड़ा खाओ जितने हमारे शरीर को जरूरत है। एक बार में इतना खाओगे तो जीवन भी थोड़ा सा ही रह जाएगा। राजा की यह बात सुनकर पेटूलाल को एहसास हुआ कि उसकी इसी गंदी आदत की वजह से लोग उससे कतराते थे उसे किसी दावत में भी नही बुलाते थे।

यह एहसास होने के बाद उसने राजा से क्षमा मांगी और पेटुलाल ने अपने खाने के लालच को बिल्कुल कम कर दिया। जितना भोजन उसके शरीर के लिए जरूरी हो वह अब उतना ही खाता। धीरे-धीरे उसका वजन भी घट गया था और वह स्वस्थ भी हो गया।

Moral of the Story:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज नुकसानदायक ही होती है। चाहे वह खाने का लालच हो या पैसों का या कोई भी अन्य लालच “जरूरत से ज्यादा का लालच हमेशा नुकसानदायक”

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2.पांच अंधों की अनूठी कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों यह कहानी बहुत ही मजेदार और शिक्षाप्रद भी है चलिए शुरू करते हैं। एक शहर में पांच अंधे दोस्त रहा करते थे। वह सब जन्म से ही अंधे थे। एक दिन उन दोस्तों ने फैसला किया कि वह दशहरा देखने जाएंगे।

पर वह तो अंधे थे फिर भी वह पांचों के पांचों तैयार होकर अपनी लाठी लेकर चल दिए। जैसे ही वह मेले में पहुंचे वहां पर एक भीड़ आवाज लगा रही थी कि  हाथी देखो हाथी इतना विशालकाय हाथी इतना खूबसूरत हाथी इतना शक्तिशाली हाथी।

यह सब दोस्त आवाज की दिशा में चल दिए। अब उन्हें भी जिज्ञासा हुई की आखिर हाथी दिखता कैसा है? वहां पर एक विशालकाय हाथी था जिज्ञासा के मारे वह सभी हाथी को छूने लगे। एक अंधे ने हाथी की सूंड  को छुआ और कहने लगा हाथी तो सांप जैसा है। एक अंधे ने हाथ के कान को छुआ और कहने लगा तुम तो कह रहे थे हाथी सांप जैसा है ये तो हाथपंखे जैसा है।

एक ने हाथी के पेट में हाथ रखा था वह कह रहा था कि हाथी एक दीवार जैसा है। एक ने हाथी की टांगे पकड़ी थी वह कह रहा था हाथी एक बड़ी और मजबूत स्तंभ जैसा है। वह कह रहा था कि तुम सब पागल हो गए हो क्या हाथी एक मजबूत स्तंभ जैसा है। सब अपने अपने राय को लेकर लड़ रहे थे। एक दूसरे को बेवकूफ समझ रहे थे।

Moral of the Story:

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई बार हम एक दूसरे से आगे बहस करते हैं अपने अलग अलग विचारों को लेकर तो हमें कभी भी खुद को सही साबित करने के लिए दूसरे के नजरियों को गलत नहीं ठहराना चाहिए। क्योंकि हम सभी एक ही चीज को अलग-अलग नजरिए से देखते हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम ही सही हैं और सामने वाला गलत।

3.लालची समोसे वाली की कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

तो दोस्तों अगली कहानी है लालची समोसे वाली की तो चलिए शुरू करते हैं। उत्तर प्रदेश के एक गांव में एक सास बहू अपने सामोंसो का ठेला लगाया करती थी। सास का नाम था रामदुलारी और बहु का नाम फगुनिया। वह दोनों बेहद लालची थी।

राम दुआलरी का पति और बेटा उनकी मदद किया करते थे। रामदुलारी अक्सर अपने पति को पीटा करती थी और वह कहती थी कि तुम्हें बाजार से आने में इतनी देर कैसे लग गई आखिर तुम बाजार में क्या कर रहे थे?

लालची समोसेवाली की कहानी - Comedy Moral Stories in Hindi

वहीं दूसरी और बहू फगुनिया भी अपने पति को मारा करती और कहती थी लगता है बचपन में तुम्हारी अच्छी पिटाई नहीं की है सासू मां ने तभी तुम मंदबुद्धि हो। वहां बैठे समोसे खा रहे लोगों को यह देखकर बेहद शर्मिंदगी महसूस हुई उनमें से एक आदमी उन दोनो से कहता है तुम लोगों के सामने खुलेआम अपने पति को कैसे पीट रही हो तो बहु फगुनिया कहती है लगता है तुम्हारी बीवी बंद कमरे में तुम्हारी पिटाई करती है और यह कहकर जोर जोर से हंसने लगती है।

वह आदमी उठकर वहां से चला जाता है एक दिन वह हर रोज की तरह समोसे बना रही थी लालच ज्यादा होने के कारण वह बिल्कुल छोटे-छोटे समोसे बनाया करती थी। अक्सर उनके दुकान में आए लोगों को यह परेशानी होती थी कि समोसे बहुत ही छोटे हैं और कभी-कभी समोसे बासी भी होते थे। एक दिन बहू फगुनिया सुबह-सुबह समोसे के ठेले की ओर आ रही थी उसके हाथ में साइकिल के टायर का हवा भरने वाली पंप थी। यह देख सासु मा ने कहा बहू तुम यह पंप लेकर ठेले में क्यों आई हो?

उसकी बहू फगुनिया कहती है सासू मां लोग हमें शिकायत करते हैं कि समोसे बहुत छोटे हैं तो मेने यह तरकीब लगाई है कि क्यों न हम समोसों को हवा देकर फुलाएं। ऐसा करने से लोगों की शिकायत भी खत्म और पैसा ही पैसा। यह सुनकर उसकी सास खुश हो जाती है और अपनी बहू की तारीफ करती है कि कितनी समझदार बहू पाई हूं। पर दूसरी और बेटा और पिता परेशान हो जाते हैं वह बहु को समझाते हैं कि यह करना गलत होगा हवा के द्वारा कई सारे किटाणु समोसो के अंदर घुस जाएंगे और हमारे ग्राहक बीमार पड़ सकते हैं।

उन्हें टाइफाइड , डायरिया जैसी बीमारी लग सकती है। उनकी एक ना सुनते हुए सास बहू ने यह कार्य शुरू कर दिया। वह अब पहले से छोटे समोसे बनाते और हवा भर सामोसो को फुलाते। इसी तरह चलता रहा लोग बड़े-बड़े समोसे देखकर खुश होते रहे खाते रहे और वह दोनो खूब सारा पैसा कमाते रहे। इसी तरह दिन बीतते गए। एक दिन उनके दुकान में एक सूट बूट वाला आदमी आया उसने कहा कि एक समोसा लगा दो पर वे आदमी बहुत समझदार था वह इतने बड़े समूसों को देखकर समझ गया कि “दया कुछ तो गड़बड़ है”।

उस आदमी ने जैसे ही समोसे का टुकड़ा मुंह में लिया वैसे ही बाहर थूक दिया क्योंकि समोसा बहुत बासी और बदबूदार था। उसने कहा कि तुम इतना बासी समोसा क्यों खिला रहे हो यह पुराना है। ताजा-ताजा समोसा नहीं है क्या?

यह सुनकर सास रामदुलारी को गुस्सा आता है वह सूट बूट वाले आदमी से कहती है क्या तुम इस गांव में नए आए हो तुम अपनी जीभ का इलाज कराओ तुम्हें अच्छे और बदबूदार समोसा में फर्क भी नहीं समझ आ रहा यह सुनकर उस सूट बूट वाले आदमी को गुस्सा आता है और वह कहता है कि हां मैं इस गांव में नया आया हूं।

मैं फूड इंस्पेक्टर हूं। वह अपने असिस्टेंट से कहता है कि इन समोसो का सैंपल जल्दी से ले लेकर जाओ और लैब में  चेक कराओ और यह हवा भरने वाली पंप भी। वह दोनो सास बहू यह सुनकर थर थर कांप जाती हैं। फूड इंस्पेक्टर उन दोनो को उनके बुरे कर्म की वजह से उन्हें जेल भेज देता है। वहीं दूसरी ओर बेटे और पिता बहुत ही खुशी से उस ठेले को चलाते हैं और आकार में बड़े और ताजे समोसे बेचते हैं और मेहनत की रोटी खाते हैं।

 नैतिक शिक्षा:

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरों के बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए और ना ही मेहनत से डरना चाहिए। हमेशा दूसरों के हित में ही सोचना चाहिए इससे हमारे जीवन में तरक्की भी आती है और खुशहाली भी। कहा भी गया है “बुरा करोगे तो बुरा ही पाओगे“।

4.बूढ़े पिता और जेल से आई चिट्ठी की कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों यह कहानी बहुत ही हंसीदार है। इसे अंत तक जरूर पढ़ें चलिए शुरू करते हैं। हरियाणा के एक गांव में एक बूढ़ा हरिया नाम का आदमी अपनी पत्नी के साथ रहा करता था। उसका इकलौता बेटा चोरी के जुल्म में जेल में था।

बुढ़ापे की वजह से वह खेती करने में भी असमर्थ था। तो हरिया अपने बेटे किशोर को खत लिखता है। वह लिखता है कि बेटा मेरी तबीयत खराब होने की वजह से इस बार मैं खेत नहीं जोत पाऊंगा।

अगर तुम यहां होते तो मेरी मदद जरूर करते तुम्हारी मां की तबीयत भी खराब रहती है तो मैं इस बार कोई खेती नहीं करूंगा। तुम अपना ध्यान रखना। जैसे ही जेल में बैठे किशोर को अपने पिता का खत मिलता है।

वह अपने पिता को वापसी में खत लिखता है कि पिताजी कृपा करके वह खेत मत जोतना क्योंकि वहां पर बंदूकें और बारूद दबा रखे हैं। जैसे ही पिता को खत पहुंचता है उसी समय पुलिस की एक बड़ी टीम भी उसके घर पर पहुंच जाती है और उसके खेत का पता पूछते हैं।

खेत पहुंचकर पुलिस की टीम पूरा खेत खोद खोद कर खोजबीन करते हैं पर उन्हें कहीं भी कोई बंदूक या बारूद नहीं मिलता। पिता हरिया अपने बेटे को वापसी में खत लिखता है कि बेटा तुम यह क्यों कह रहे थे और वहां तो ऐसा कुछ भी नहीं मिला। तो किशोर अपने पिता को दोबारा खत भेजता है कि पिता यह तो मेरी चाल थी मेने तो पुलिस वालों के साथ मजाक किया था।

इसी वजह से पुलिस वालों ने पूरा खेत खोद कर रख दिया। अब आप उसमें बीज डाल कर आराम से खेती कर सकते हैं। जेल में बैठकर मैं आपकी इतनी ही मदद कर सकता हूं। यह सुनकर पिताजी मुस्कुराए और उन्होंने अगले दिन ही बीज फेंक कर खेती की और इस बार ज्यादा खुदाई होने की वजह से खेती भी अच्छी हुई और उन्हें मुनाफा भी मिला।

Moral of the Story:

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “कभी-कभी मजाक भी अच्छा होता है”।

5.बंदर को मजाक पड़ा महंगा – Comedy Moral Stories in Hindi

बहुत पुरानी बात है एक दिन एक घने जंगल में शेर रहा करता था। वह खुद को जंगल का राजा कहता था। वह हमेशा घमंड में चूर रहता था। एक दिन वह दहाड़ते हुए जंगल की सैर कर रहा था। अचानक से सेर करते करते वह शिकारियों द्वारा खोदे हुए बड़े गड्ढे में जा गिरता है और मदद के लिए आवाज लगाता है रोता है बिलखता है। यह देखकर उसी गड्ढे के ऊपर वाले पेड़ में बैठे दो बंदर हंसने लगते हैं और शेर का मजाक उड़ाते हैं।

उसे नीचा दिखाते हुए कहते हैं की क्यों शेर राजा आ गया स्वाद। आ गई अब तुम्हारी अकल ठिकाने वैसे तो बड़े जंगल के राजा बने फिरते थे। अब क्या हुआ खत्म हो गई दहाड़ यह कहकर बंदर शेर को चिड़ा ही रहे थे कि अचानक से दो बंदर के बैठने के कारण पहले से कमजोर टहनी टूट गई।

अब वह दोनो उस शेर के ऊपर गिर जाते हैं। अब यह दृश्य देख कर शेर हंसता है और कहता है कि आ गया स्वाद। दोनो बंदर शेर से माफी मांगते हैं पर शेर उन्हें हंसकर झपट कर खा जाता है। और कहता है हर कुत्ते का दिन आता है।

नैतिक शिक्षा:

दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी के कमजोरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए क्या पता कब किस्मत पलट जाए और तुम पर ही भारी पड़ जाए।

6.कछुओं की गजब कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों यह कहानी है कछुओं की। एक बार कछुए का परिवार गर्मियों की छुट्टी मनाने की सोचने लगा। वह सोचने लगे कि हमें भी आउटिंग के लिए कही घूमने जाना चाहिए। जैसे हमारे पड़ोस वाले कछुओं का परिवार गया था।

तो कछुओं का मुखिया बबलू सभी को बुलाकर चर्चा करने लगा कि कहां जाना है? कैसे जाना है?कब जाना है? जैसे कि सभी जानते हैं कछुए हर काम में बहुत ही धीमे होते हैं वह हर काम बहुत आराम से करते हैं तो इसी प्रकार उन्हें यह चर्चा और निर्णय लेने में ही लगभग 8 साल लग गए कि जाना कहां है।

कछुओं की गजब कहानी - Comedy Moral Stories in Hindi

जैसे ही उन्होंने जगह फाइनल की उस जगह पर पहुंचने के लिए उन्हें 10 साल लग गए और परिवार की कछुआ औरतें अपने साथ खाने की बहुत सारी सामग्री लेकर चली जैसे की मालपूए, सेवइयां, सैंडविच ,बेसन के लड्डू और काफी कुछ स्वादिष्ट भोजन लेकर वह अपनी निर्धारित जगह पर पिकनिक मनाने पहुंच गए।

वह वहां खेलने और मस्ती करने लगे और अपनी छुट्टियां मजे से बिताने लगे। अब कई साल गुजर गए कछुए के परिवार को भूख लगी उन्होंने सोचा क्यों ना खाना खाया जाए। जैसे ही उन्होंने खाने की पोटली खोली तब उन्हें ध्यान आया कि नमक तो हम साथ लाए ही नहीं बिना नमक के खाना खाने में क्या स्वाद।

वह सोचने लगे कि नमक लाने के लिए हम में से किसी ना किसी को तो घर वापस जाना पड़ेगा। वैसे तो कछुए सभी ही बहुत धीमी रफ्तार में चलते थे। पर उनमें से भी एक सबसे छोटा कछुआ उसकी रफ्तार पूरे परिवार से तेज थी तो परिवार के मुखिया ने निर्णय लिया कि सबसे छोटे कछुए को घर भेजा जाए नमक लाने के लिए।

उन्होंने उसे बुलाया उसको सारी बात बताई और आदेश दिया कि तुम घर जाकर नमक लेकर आओ। बिना नमक के कोई स्वाद नहीं चिंटू कछुए ने झट से अपने पिता को मना कर दिया। उसने कहा वह नमक लेने नहीं जाएगा। तो पिता ने उससे पूछा कि तुम क्यों नहीं जाओगे?

तो चिंटू कहने लगा कि मैं नमक लेने जाऊंगा तो आप लोग यह सारा खाना चट कर जाओगे। मुझे आप लोगों पर भरोसा नहीं। तो कछुए के परिवार ने चिंटू को भरोसा दिलाया कि जब तक तुम नहीं आते हम में से कोई खाने को छुएगा तक नहीं।

कछुआ चल पड़ा घर की और सारा परिवार उसका इंतजार करता रहा इंतजार करते-करते एक साल बीत गए दो साल बीत गए 3 साल बीत गए इसी तरह पांच साल बीत गए और कछुए का कोई अता पता ना था। अब उन्हें भूख बहुत तेज लगी थी क्योंकि उन्होंने इतने साल इंतजार किया था। अब उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। अब वह सब खाने पर टूट पड़ना चाहते थे।

तो जैसे ही वह खाने पर टूट पड़े अचानक से पीछे झाड़ियों में छुपा कछुआ चिंटू झट से उनके सामने आ गया और कहने लगा मुझे पता था आप लोग यही करोगे। मुझे आप लोगों पर भरोसा नहीं था देखो आप मेरे बिना ही खाना खाने लग पड़े।

यह देख पूरा परिवार अपना सिर पकड़ कर बैठ गए और चिंटू से कहने लगे कि तुम इतने साल झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठे रहे और तुमने मुखिया की कही बात का पालन नहीं किया। इसी तरह पूरे परिवार ने बिना नमक के ही खाना खाया और उनका इतना लंबा इंतजार व्यर्थ रहा।

Moral of the Story:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “हमें अपने परिवार पर भरोसा रखना चाहिए और जिमेवारिया उसी को देनी चाहिए जो लायक हो”

7.बेवकूफ शेख चिल्ली की कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों अपने अक्सर शेखचिल्ली के बारे में सुना ही होगा चलिए आज उनकी एक अनोखी कहानी भी पढ़ते हैं। शेख चिल्ली अपने घर पर अपनी माता के साथ रहा करता था। एक दिन घर पर मेहमान आए और घर पर चीनी खत्म थी तो शेखचिल्ली की मां ने उससे कहा कि तुम जाओ और ₹10 की चीनी ले आओ।

शेख चिल्ली एक कटोरा लेकर दुकान की ओर चल दिया। जैसे ही वे दुकान में पहुंचा वे दुकानदार से कहता है दुकानदार मियां मुझे ₹10 की चीनी दो। वह कटोरा दिखाते हुए दुकानदार से कहता है। जैसे दुकानदार ₹10 की चीनी तराजू में तोलता है।

शेख चिल्ली के कटोरे में भर देता है। शेखचिल्ली का कटोरा भर जाता है पर थोड़ी सी चीनी उस तराजू में ही रह जाती है तो दुकानदार साहब कहते हैं मियां शेख चिल्ली आप का कटोरा तो भर गया है पर थोड़ी सी चिल्ली रह गई है।

आप या तो इसके बदले कुछ और ले जाइए या मैं आपको बची हुई चीनी के पैसे दे देता हूं। शेखचिल्ली ने कहा मेरी मां ने मुझे आदेश दिया है कि ₹10 की चीनी ले आना तो मुझे पूरे ₹10 की चीनी ही चाहिए। तो शेख चिल्ली को अचानक ध्यान आता है कि कटोरी की उल्टी ओर भी तो  गहराई है जिसमें ये बची हुई चीनी आ सकती है।

उसने वह कटोरा उल्टा दिया और कटोरे की उल्टी ओर थोड़ी सी जगह में उसने वह चीनी ले ली। यह  बेवकूफी का दृश्य देख दुकानदार हैरान हो जाता है और जोर जोर से हंसने लगता है। सारी चीनी वहीं दुकान में गिर कर बिखर जाती है। शेखचिल्ली चीनी लेकर घर पहुंचा। घर पर मेहमान चाय का इंतजार कर रहे थे।

मां ने कहा शेख चिल्ली जल्दी से तुम रसोई घर में चीनी लेकर आओ। जैसे ही मां ने वह कटोरा देखा वह हैरान रह गई और कहने लगी ₹10 में सिर्फ इतनी सी चीनी। वह कहता है नहीं मां और भी है वह जल्दी से कटोरे को उलट कर सीधी कर दिखाता है और थोड़ी सी बची हुई चीनी भी गिर जाती है।

मां अपना सिर पकड़ कर बैठ जाती है और उससे कहती है बेवकूफ यह तुमने क्या किया घर पर मेहमान आए हैं और तू ऐसी हरकतें कर रहा है। शेख चिल्ली कहता है इसमें मेरी क्या गलती आपने ₹10 की चीनी मांगी थी। कटोरी भर गई थी।

₹2 की जो चीनी बच गई थी तो मैं इसमें भी ले आया। तब मां ने कहा मुझे दिखाओ तो उसने कटोरा सीधी ओर पलट दिया तो यह चीनी भी गिर गई। मां उससे कहती है शेख चिल्ली तुम तो बहुत मूर्ख हो। यह नजारा देख मेहमान पेट पकड़ कर शेकचिल्ली पर हँसने लगे।

नैतिक शिक्षा:

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमे अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए। वरना तो वही बात हो गई “बुद्धि बड़ी या भैंस“?? तो हमें हमेशा बुद्धि को ही बड़ा मानना  चाहिए। तो दोस्तों आपके हिसाब से बुद्धि बड़ी या भैंस कमेंट में जरूर बताएं हा हा हा।

8.रुई वाले भूत की कहानी – Comedy Moral Stories in Hindi

रुई वाले भूत की कहानी - Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों यह कहानी है बहुत ही हंसीदार चलिए शुरू करते हैं एक बार रमेश अपने फूफा जी के घर जाते हैं  जन्मदिन के निमंत्रण पर। रमेश अपने फूफा जी के घर पहुंच जाता है। उसकी अच्छी खातिरदारी होती है। 

इसी तरह जब रात का भोजन कर रमेश को एक कमरे में सोने दिया जाता है। रमेश कमरे में सो रहे होते हैं और आधी रात उनको बहुत भूख लगती है। फिर वह ऊपर आंख उठाकर देखते हैं वहां पर एक मटकी होती है।

वह मटकी होती है शहद की। यह देख रमेश का मन ललचाता है। मटकी मैं छोटा सा छेद था और उस छेद से कुछ कुछ देरी में एक-एक बूंद शहद की गिर रही थी। यह देख उसे शहद चखने का बहुत मन होता है।

वह उस मटकी के नीचे अपना मुंह खोल के बैठ जाता है। पर वह थोड़ा थोड़ा शहद गिरने से असंतुष्ट था। वह उस मटकी के छेद को थोड़ा बड़ा करना चाहता है ताकि खूब शहद वो खा पाए इसी प्रयास में अचानक से मटकी फूट कर उस पर गिर जाती है।

रमेश शहद से लथपथ हो जाता है। वह घबरा जाता है कि अब सबको मालूम हो जाएगा कि यह मटकी मैने फोड़ी है। वह सोचता है अपने कपड़ों को साफ कर देता हूं पर उसके कपड़े पूरे शहर लगने के कारण चिप चिप हो जाते हैं और उसके पास दूसरे कोई वस्त्र भी नहीं होते।

तो वह सोचता है कपड़ों को अच्छी तरह से साफ कर दूंगा तो किसी को मालूम नहीं पड़ेगा। उस कमरे से पीछे वाले रास्ते में जाकर एक स्टोर रूम होता है वह वहां जाता है।

वहां पर देखता है कि ढेर सारी रूई रखी है। वह उस रूई से अपने कपड़ों को साफ करने की कोशिश करता है पर सारी की सारी रूई उस पर चिपक जाती है। कुछ आवाज होने से रमेश के फूफा जी वहां से गुजरते है। वह देखते हैं कि इतनी बड़ी सफेद रूई में कोई हलचल हो रही है। वह कहते हैं कि तुम कौन हो?

रमेश कहता है मैं मियाऊँ। वह यह कह कर डर जाते हैं कि इतनी बड़ी मियाऊं? वह वहां से भाग खड़े होते है। वह पूरे परिवार को इकतालाह करते हैं कि उस कमरे में एक बहुत बड़ी मियाऊं है। वह सभी डर जाते हैं कि हमारे घर पर भूत का साया है। रूई वाला भूत है।

अब रमेश घबरा जाता है अब वह सोचता है कि मुझे तो पकड़ ही लेंगे। वह पीछे वाली दीवार से भाग निकलता है और बदकिस्मती से वह भेड़ों के बाड़े में जा गिरता है। उसी वक्त वहां पर कुछ भेड़ चोर आए हुए थे। वह उन भेड़ों को चुराने आए हुए थे।

वह देख रहे थे की इनमे से सबसे मोटी ताजी भेड़ कौन है? वह रमेश को देखते हैं और भेड़ समझकर उसे उठा ले जाते हैं। जैसे ही चोर अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं। रमेश खुद से उतर कर नीचे आ जाता है। वह अपने पैरों से छलांग लगाता है। यह दृश्य देख वह चोर डर जाते हैं यह सोच कर कि हम तो किसी भूत को पकड़ लाए हैं।

वह भूत भूत चिलाकर वहां से भाग खड़े होते हैं। रमेश पास की नदी के पानी से खुद को अच्छे से साफ करता है और अन्य चुराई हुई भेड़ों को लेकर अपने फूफा के घर के लिए रवाना हो जाता है। फुफड़  वा अन्य गांव के लोग रमेश और भेड़ों को देख हैरान हो जाते है और वह उससे पूछते है तुम भेड़ों के साथ कहां गायब हो गए थे?

वह सारी बात बताता है वह कहता है कि रात के अंधेरे में मुझे कुछ आवाज सुनाई दी। मैंने देखा कि कुछ चोर भेड़ों को चुरा रहे हैं तो मेने उन बदमाश चोरों का पीछा किया और उनकी खूब पिटाई की और आपकी भेड़ों को लेकर वापस आया हूं। पूरे परिवार वाले और पूरे गांव वाले उसकी वीरता और शौर्य को देख बेहद खुश हुए और रमेश पर नाज करने लगे।

Moral of the Story:

दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए“। बल्कि डट कर मुसीबत का सामना करना चाहिए।

मियां हकीम के मजेदार किस्से – Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों यह कहानी है बहुत ही मजेदार तो चलिए शुरू करते हैं एक बार एक आदमी जिसका नाम था मियां हकीम था। वह अपनी मां और बीवी के साथ अपने छोटे से घर के रहा करता था। उसकी बीवी मायके गई हुई थी तो कुछ दिन बाद मियां हकीम को भी खत आता है कि त्योहार के कारण उसे भी निमंत्रित किया गया है। तो उसकी मां उसे समझाती है कि तुम बिल्कुल अपनी नाक की सीध में अपने ससुराल तक जाना। वह अपनी मां की बात को गांठ बांध लेता है और चल देता है।

वह बिल्कुल नाक की सीध में चल देता है। रास्ते में एक नदी पड़ती थी उस नदी को पार कर दूसरे गांव जाना पड़ता था। जैसे ही वह नदी में पहुंचता है वह नाव के आने का इंतजार करता है यह देखता है कि नाव तो टेढ़ी-मेढ़ी होकर आ रही है और उसे अपनी मां की याद याद आती है।

मां ने कहा था बिल्कुल नाक की सीध में जाना। वह नाव को छोड़कर पानी में डुबकी लगा देता है और अपने ससुराल जा पहुंचता है। जैसे ही वे ससुराल पहुंच गया उसकी बहुत ही अच्छी खातिरदारी होती है।

उसे खाना खिलाया जाता है खाने के बाद मियां हकीम के ससुर उसे पान खिलाते हैं उसने पहले कभी पान नहीं चखा था जैसे ही वह पान खाता है पान की लालिमा उसके मुंह में आ जाती है यह देख कर वह डर जाता है।

उसे याद आता है कि टीबी के मरीज के मुंह से खून आता है। यह देखकर घबरा जाता है वह सोचता है कि उसके मुंह से भी खून आ रहा है। यह देख वह रोने लगता है और नीचे जमीन में लेट जाता है। वह सोचता है मैं बस मरने ही वाला हूं। यह देख उसके सास ससुर भी रोने लगते हैं एक को रोता देख सभी रोने लगते हैं।

पूरा परिवार रोने लगता है। पास के मौलवी साहब आते हैं वह इस दृश्य को देखकर उन्हें समझाते हैं। उनका रोना चुप करवाते हैं और मौलवी साहब मियां हकीम से पूछते हैं कि भाई तुम्हें तकलीफ क्या है? तुम ठीक हो तुम्हारी नब्ज़ भी ठीक है।

तुम्हारी दिल की धड़कन भी ठीक चल रही है। आखिर तुम्हें हुआ क्या है? वह सारी बात बताता है तो वह कहता है अरे भाई यह कोई टीबी की बीमारी नहीं बल्कि यह तो पान की लालिमा है यह देख सभी परिवार वाले ठहाके लगाकर हंसने लग पड़ते हैं और सोचते हैं कि हमारा दामाद कितना भोला है।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “हमें आंख मूंदकर किसी की बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए और अपनी बुद्धि को जरूर इस्तेमाल कर लेना चाहिए”।

शेखचिल्ली और उसकी खीर – Comedy Moral Stories in Hindi

दोस्तों शेख चिल्ली पर एक और मजेदार कहानी चलिए शुरू करते हैं एक गांव में शेखचिल्ली अकेला रहा करता था। वह बहुत आलसी था। वह हमेशा दिन भर लेटा रहता था। कोई भी काम नहीं करता था।

एक दिन हमेशा की तरह वह पूरे दिन बिस्तर पर लेटा रहा पर उस दिन उसे नींद नही आई और वह बैठे बैठे थक कर रात को उठ गया। शेखचिल्ली ओचने लगा कि क्या रात को भी कोई काम मिल सकता है जिससे मैं पैसे भी कमा लूं और बोर भी ना हूं। वह घर से बाहर निकलता है रास्ते में उसे कुछ चोर गुंडे दिखते हैं।

शेखचिल्ली और उसकी खीर - Comedy Moral Stories in Hindi

वह उनसे पूछता है भाई तुम कहां जा रहे हो वह कहते है हम काम पर जा रहे हैं। तो यह सुन वह भी उनके साथ चल देता है ये सोचकर की चलो मुझे भी कोई काम मिल जायेगा। चोर भी यह सोचते है कि चलो यह हमारे भी कुछ काम आ जायेगा।

वह सब चलते-चलते एक अमीर आदमी के घर पहुंच जाते हैं। वहां पर वह सामान इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं। जैसे ही वह सारा सामान बटोरने लगे अचानक शेखचिल्ली की नजर चूल्हा पर पड़े दूध पर जाती है। वह उस दूध में चीनी और चावल डालकर खीर बनाने की सोचता है। उसी कमरे के बगल में घर की दादी सोई थी।

सोते-सोते दादी का हाथ बिस्तर से बाहर निकल जाता है। शेख चिल्ली सोचता है अभी खीर बनी नहीं और बुढ़िया को पहले ही चाहिए। वह कहता है बुढ़िया दादी रुक जाओ जैसे ही खीर बनेगी सबसे पहले तुम्हें ही खिलाऊंगा।

पर दादी अपना हाथ नहीं उठाती है क्योंकि वह गहरी नींद में सोई थी। शेख चिल्ली सोचता है यह बुढ़िया तो नहीं मानने वाली वह कच्ची और गर्म खीर बुढ़िया के हाथ में भर देता है और गर्म खीर के कारण बुढ़िया चिल्ला चिल्ला कर उठ जाती है। दोनों चोर चारपाई के नीचे छिप जाते हैं और शेख चिल्ली एक ऊंची अलमारी पर।

बुढ़िया की चीख सुन उसका बेटा वहां आ जाता है वह कहता है मां तुम्हारा हाथ कैसे जला? बुढ़िया कहती है पता नहीं बेटा ऊपर वाला ही जाने। तभी शेखचिल्ली को गुस्सा आ जाता है। वह कहता है अच्छा मैंने तो तुम्हें खीर भी दी और तुम सारा इल्जाम मुझ पर लगा रही हो।

क्या चारपाई के नीचे छुपे हुए वह दोनो तुम्हारे रिश्तेदार लगते हैं। यह कहकर दोनों चोर और शेख चिल्ली उस घर से भाग जाते हैं। रास्ते में वह चोर शेख चिल्ली की खूब पिटाई करते हैं और कहते हैं कि किस बेवकूफ से पाला पड़ा। शेख चिल्ली अपने घर जाता है और कसम खाता है कि आज से वह कोई काम नहीं करेगा जिससे उसके जीवन को जोखिम हो।

Moral of the Story:

तो दोस्तों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें बिना सोचे समझे किसी के साथ भी नही चल देना चाहिए बल्कि सोच समझ कर ही फैसला लेना चाहिए।

CONCLUSION:

Comedy Moral Stories in Hindi – तो दोस्तों कैसी लगी आपको हमारी है मजेदार और हंसीदार कहानियां। आशा करती हूं आपको हमारी यह Comedy Moral Stories in Hindi बेहद पसंद आई होगी अगर आपको यह कहानियां अच्छी लगी हो या इन कहानियों से आपको कोई सीख मिली हो तो आप इन्हे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूले। इन कहानियों को लेकर कोई सुझाव या प्रश्न हो तो नीचे दिए गए Comment बॉक्स में अपना Comment जरूर पोस्ट करें और आने वाली कहानियों को लेकर कोई सुझाव हो या किस विषय पर हम कहानी प्रस्तुत करें। उसे भी आप जरूर कमेंट करें हमें बेहद खुशी होगी धन्यवाद।🙏

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1.क्या Top 10 Moral Stories in Hindi से हमें नैतिक शिक्षा का ज्ञान मिल सकता है?

जी हां। आप बिल्कुल सही जगह पर हैं अगर आप नैतिक शिक्षा का ज्ञान पाना चाहते हैं। यह कहानियां मजेदार होने के साथ साथ बहुत है शिक्षाप्रद हैं।

2. क्या इन कहानियों में चित्रों का इस्तेमाल किया गया है?

जी हां। इन कहानियों को और भी मजेदार और पढ़ने में आसान बनाने के लिए हमने इसमें चित्रों का इस्तेमाल किया है। ताकि यह कहानियां बड़ों के साथ साथ बचे भी पढ़ सकें।

3. यह कहानियां बच्चों के लिए पढ़ने योग्य है?

जी हां। यह कहानियां खास हमने बच्चों का ध्यान रख कर बनाई हैं। ताकि बड़ों के साथ साथ बच्चे भी इन कहानियों का लुफ्त उठा सकते हैं और इनसे अच्छी सीख ले सकते हैं और अच्छे बुरे का ज्ञान समझ सकते हैं।

4. क्या इन कहानियों के अंत में नैतिक शिक्षा दी गई है?

जी हां। हर एक कहानी के अंत में आपको short and sweet सी नैतिक सीख दी गई है। जो समझने में बहुत आसान है।

1 thought on “Top 10 Comedy Moral Stories in Hindi | Comedy Moral Stories – हास्य नैतिक कहानिया हिंदी में – 2023”

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