Top 12 Best Moral Stories in Hindi for Class 8 – नैतिक कहानियां 2023 | Class 8 Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi for Class 8 – प्यारे बच्चों आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बहुत ही बेहतरीन और रोचक कहानियां। यह नैतिक कहानियां होती ही बहुत खास हैं। जो जीवन की बड़ी से बड़ी सीख हमें बहुत ही सरल और सहज तरीके से समझा देती है तो इसी तरह मैं Moral Stories in Hindi for Class 8 कहानियों का लेख लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुई हूं और आशा करती हूं यह शिक्षाप्रद कहानियां आपके जीवन को बदलने में सक्षम साबित होंगी।

Table of Contents

1. अद्भुत शख्सियत – Moral Stories in Hindi for Class 8

बच्चों यह कहानी दिल को छू लेने वाली है जरा ध्यान से पढ़िएगा। एक छोटा बालक रामेश्वरम शहर के मस्जिद वाली गली में रहा करता था। रामेश्वरम मंदिर शिव के पूजन के लिए जाना जाता है। वह मुसलमान बालक अक्सर शाम के समय मंदिर के पास जाया करता था और मंदिर में आने जाने वाले लोग उसे बहुत ही हैरतअंगेज निगाहों से ताकते थे। और भला देखें भी क्यूं ना वह यह सोचते थे कि यह मुसलमान लड़का मंदिर के सामने आखिर क्या कर रहा है? पर उस बालक की बात ही अनोखी थी उसे मंदिर के मंत्र जाप सुनने में बहुत ही आनंद महसूस होता था। भले ही उसे मंत्रों का एक भी शब्द समझ नहीं आता था। पर वहां उसे सुकून मिलता था और हां मंदिर के सामने जाने का उसका एक और कारण भी था।

अद्भुत शख्सियत - Moral Stories in Hindi for Class 8

उसका प्रिय मित्र “राम नाथ शास्त्री”। वह मुख्य पुरोहित का बेटा था। वह दोनों अक्सर स्कूल साथ जाया करते और दोनो कक्षा की पहली बेंच पर साथ ही रहा करते। एक बार कक्षा में दोनों साथ ही बैठे थे कि अचानक एक नए अध्यापक का कक्षा में आगमन होता है। वह दिखने में बहुत खड़ूस लग रहे थे और बेहद क्रोधित भी। हाथ मे डंडा लिए वह पूरी कक्षा का चक्कर काटने लगे और वह दोनों मित्रों के बेंच के सामने आकर रुक गए। उस मुसलमान बालक को कहने लगे अरे ओ टोपी वाले आखिर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पुरोहित के बेटे रामनाथ शास्त्री के साथ बैठने की तुम नहीं जानते यह कौन है? जाओ सबसे अंत की बेंच में जाकर बैठ जाओ। यह वह अध्यापक कहते हैं। वह बालक मायूस होकर लास्ट की बेंच में जाकर बैठ जाता है।

जैसे ही छुट्टी का समय होता है वह दोनों खूब रोते हैं और उन्हें लगता है कि अध्यापक उन्हें कभी साथ रहने नहीं देंगे। इस तरह से तो उनकी दोस्ती टूट जाएगी और वह दोनों ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहते थे। इसी तरह अगले दिन वह बालक अपने घर पर बैठा था और भागते भागते रामनाथ शास्त्री उसके घर पहुंचता है और उसे कहता है जल्दी चलो मेरे पिताजी ने तुम्हें घर बुलाया है। अब वह बालक घबरा जाता है कि भला रामनाथ के पिता ने उसे क्यों बुलाया होगा? वह घबराकर वहां पहुंचता है। वहां पहुंचकर वह देखता है कि रामनाथ शास्त्री के पिता उस अध्यापक को खूब डांट रहे हैं। उन्हें कह रहे हैं कि तुमने उस बालक के साथ अन्याय क्यूं किया। अध्यापक होने के नाते तुम्हें ऐसी हरकत करना शोभा नहीं देता और ना ही बच्चों में जात पात का भेद करना सही है।

अब से तुम्हें स्कूल में अध्यापक पद की कोई जरूरत नहीं है। अध्यापक पद से तुम्हे दरखास्त कर दिया जाता है। यह सुनकर अध्यापक पुरोहित जी के हाथ पैर जोड़ते हैं और क्षमा मांगते हैं। अध्यापक उस बालक को गले लगाते हैं और माफी मांगते हैं। बालक से कहते हैं कि मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा है। आज मेने एक बहुत ही महत्वपूर्ण पाठ सीखा है। यह देख पुरोहित जी को ऐसा लगता है मानो सच में अध्यापक को दिल से अपने किए पर पछतावा हुआ है और वह कहते हैं कि तुम अपना पढ़ाना स्कूल में जारी रख सकते हो। अगले ही दिन से वह दोनों मित्र फिर से पहली बेंच पर साथ रहने लगते हैं। अब दोनों बहुत खुश थे। क्या आप जानते हो वह मुसलमान बालक कौन थे ? वह थे हमारे सबके चहिते डॉक्टर अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम (Dr. A. P. J. Abdul Kalam)

नैतिक शिक्षा:

तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जाती पाती का भेद नहीं करना चाहिए। बल्कि जाती पाती में कुछ नहीं रखा। कुछ रखा भी है तो केवल इंसानियत में।

2.तेनाली राम की अनोखी कहानी – Unique Story of Tenali Rama – Moral Stories in Hindi for Class 8

दोस्तों चलिए आज पढ़ते हैं तेनालीराम की अनोखी कहानी। बहुत पुरानी बात है विजय नगर में एक राजा राज्य करता था। उस राजा का नाम था कृष्णदेव राय था। राजा के राज्य में एक  वजीर था उसका नाम था तेनालीराम। एक बार राजा ने अपने राज्य में चर्चा की और सभी को यह सूचित किया कि हमारे राज्य में चूहों की भरमार है बहुत चूहे हो गए हैं जिससे राज्य के अनाज भंडारों का सत्यानाश हो रहा है और ज्यादा चूहे होने से हमें बीमारियां भी लग सकती है। तो राजा ने यह हुक्म दिया कि सभी के घरों में एक एक बिल्ली होना अनिवार्य है तथा उन बिल्लियों की दूध की पूर्ति के लिए सभी को एक-एक काय भी प्रदान की जाए। यह सुनकर वजीर तेनालीराम नाखुश हुए। उन्होंने सोचा कि यह कैसी बेवकूफी वाला हुक्म है।

वह मन ही मन कुछ सोचने लगा और अपने घर गया। उसके पास भी एक बिल्ली थी। उसने बिल्ली को गरम-गरम खोलता हुआ दूध लाकर दिया जैसे ही बिल्ली ने दूध को मुंह लगाया बिल्ली का मुंह जल गया और बिल्ली वहां से भाग गई। इसके बाद जब भी वह बिल्ली को दूध देता तो बिल्ली को वह पुराना हादसा याद आता और वह भाग जाती। एक दिन राजा देवकृष्ण राय अपने राज्य के दौरे पर आए। वह पूरे राज्य में घर-घर जाकर यह देख रहे थे कि सभी के पास बिल्ली और सभी के पास गाय है भी या नहीं। दौरा करते करते वह तेनालीराम के घर भी जा पहुंचे वहां राजा देखते हैं कि एक बहुत ही कमजोर बिल्ली उसके घर में घूम रही थी। राजा तेनालीराम से कहते है क्या तुम सारा दूध खुद ही पी जाते हो या बिल्ली को भी पिलाते हो?

वह कहता है कि मैं बिल्ली को पर्याप्त मात्रा में दूध देता हूं। पर वह दूध ही नहीं पीती। तो वह एक कटोरी में दूध लाकर बिल्ली के आगे रख देता है और बिल्ली दूध की कटोरी को देखकर ही भाग जाती है। राजा को उस बिल्ली के जले मुंह को देख सारी बात समझ आ जाती है कि तेनालीराम ने बिल्ली को दूध ना पिलाने के कारण से ऐसा किया है। तो वह अपने सैनिकों को आदेश देते है कि तेनालीराम को बंदी बनाया जाए। तो तेनालीराम कहता है कि राजा जी भला यह कैसा न्याय है यहां हम देशवासियों के पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं है। वहां आपने एक एक गाय केवल और केवल बिल्लियों के लिए रख दी है। बिल्लियां तो चूहे खाकर ही अपना पेट भर सकती हैं। राजा अगले ही दिन यह ऐलान करता है कि इन गायों का दूध अपने परिवार के पीने के ही लिए इस्तेमाल करें ना की बोलियों को पिलाएं। बिल्लियों के लिए तो चूहे ही काफी हैं।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मानवता की सेवा ही सर्वोत्तम है।

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Top 10 Comedy Moral Stories in Hindi – हास्य नैतिक कहानियां।

3. विद्यार्थी बना आध्यात्मिक गुरु – Swami Vivekanand -Moral Stories in Hindi for Class 8

प्यारे बच्चों यह कहानी बहुत ही मजेदार और रोचक है चलिए शुरू करते हैं। एक बार एक होनहार और बुद्धिमान विद्यार्थी एक यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे। उनकी कक्षा के एक अध्यापक उस विद्यार्थी को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। क्योंकि जब भी वह विद्यार्थी अचंभे और हैरान कर देने वाले सवाल अध्यापकों से पूछते तो वह भी उनका उत्तर देने में असमर्थ हो जाते थे। इसी कारण उनमें से एक अध्यापक उस विद्यार्थी से बहुत चिड़ा करते थे। एक बार  कक्षा में परीक्षा का आयोजन किया गया। परीक्षा में बहुत से प्रश्न पूछे गए और उस विद्यार्थी ने बहुत ही बुद्धिमता और समझदारी से सारे प्रश्नों को हल किया और अपने अध्यापक को अपनी कॉपी जमा करवा दी।

विद्यार्थी बना आध्यात्मिक गुरु - Swami Vivekanand -Moral Stories in Hindi for Class 8

पर वह अध्यापक उस विद्यार्थी से चिड़ते थे इसी कारण उस अध्यापक ने बिना उस कॉपी को पढ़े अंत के पन्ने में  “बेवकूफ” लिख दिया और यह कॉपी उस विद्यार्थी को वापस दे दी। जब विद्यार्थी ने यह देखा की उन्होंने तो मेरे उत्तर पढ़े ही नहीं है और बिना पढ़े ही अंत के पन्ने में बेवकूफ लिख कर वापिस  दिया है तो विद्यार्थी ने वापिस जाकर अध्यापक से कहां की गुरुजी आपने तो बिना अंक दिए ही अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह सुनकर अध्यापक गुस्से से लाल पीले हो जाते हैं। और अगले दिन फिर वही अध्यापक उस विद्यार्थी से कहते हैं चलो तुम पहले यह बताओ कि अगर तुम्हारे सामने दो थैले रखे जाएं एक में बुद्धि और दूसरे में धन हो तो तुम किसे चुनोगे? वह विद्यार्थी झट से उत्तर में कहता है की में धन का चुनाव करूंगा।

तो उसी बात पर वह अध्यापक ठहाके लगाकर हंसता है और कहता है मुझे तो तुमसे यही उम्मीद थी। जब विद्यार्थी अपने अध्यापक से पूछता है कि आप क्या चुनते धन या बुद्धि? तो अध्यापक कहते हैं मैं तो अवश्य ही बुद्धि का चुनाव करता क्योंकि बुद्धि ही सबसे उत्तम है। इसीलिए बुद्धि का चुनाव करता। यह देखकर वह विद्यार्थी जोर से ठहाके लगाकर हंसता है और कहता है आपने सही कहा है जिसे जिस चीज की जरूरत होगी आखिर वह उसी का ही चुनाव करेगा ना। यह सुनकर अध्यापक दंग रह जाता है। क्या आप जानते हो वह बुद्धिमान विद्यार्थी कौन थे? वह विद्यार्थी थे “नरेंद्र नाथ दत्त” और यही आगे जाकर कहलाए हमारे महान् “स्वामी विवेकानंद” जी। जो बहुत ही होशियार और होनहार होने के साथ-साथ बहुत चतुर भी थे।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है हमे क्रोध से नहीं बल्कि हस्ते हस्ते अपनी चतुराई से भी सामने वाले को सीख देनी चाहिए।

4. दो बकरियों का आपसी समझौता – Mutual Agreement of Two Goats – Class 8 Moral Stories in Hindi

बच्चों यह कहानी है दो बकरियों की। एक समय की बात है दो बकरियां जिनका नाम “काली” और “गोरी” था। रास्ते में एक नदी थी और उस नदी के ऊपर एक पुल तो जानवरों को वह पुल पार कर दूसरी तरफ जाना पड़ता था। एक दिन काली बकरी भी उसी पुल से गुजर रही थी और सामने से गोरी बकरी भी उसी पुल पर आ खड़ी हुई। वह दोनों बीच में फस जाते हैं और दोनों आपस में लड़ना शुरू करते हैं कि पहले मैं पुल पार करूंगी और दूसरी बकरी कहती है पहले में पार करूंगी। बस इसी बात पर दोनो की बहस शुरू हो जाती है। गोरी बकरी काली से कहती है कि तुम एक बार पीछे हट जाओ तो काली चिल्लाकर कहती है मैं कही नही जाऊंगी। 

तुम पीछे हटो इसी तरह दोनों में लड़ाई हो जाती है और धक्का-मुक्की होने के कारण काली बकरी पुल के नीचे गिरने ही वाली होती है कि गोरी संभाल लेती है। गोरी बकरी को एक युक्ति सूझती है वह कहती है कि इस तरह से तो हम दोनो ही पुल से गिर जायेंगे। हम दोनो को एक ही समय में पूल पार करना है तो गोरी बकरी काली से कहती है कि पुल छोटा है तो दोनों एक ही समय में पूल पार नहीं कर पाएंगे। यह कह कर गोरी बकरी पुल पर लेट जाती है और काली उसके ऊपर से चढ़कर पुल को पार करती है तो इसी तरह दोनों अपनी अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर एक परिस्थिति में बुद्धि से काम लेना चाहिए और हर एक परिस्थिति में लड़ाई से परहेज करना चाहिए। क्योंकि गुस्सा हमेशा खतरे को पैदा करता है और शांति हमेशा प्यार को बढ़ावा देती है।

5. चिड़िया की बददुआ – Tree and Bird Story in Hindi – Moral Stories in Hindi for Class 8

प्यारे बच्चों यह छोटी सी कहानी है चिड़िया और पेड़ की चलिए इसे ध्यान से पढ़ते हैं। एक समय की बात है एक घने जंगल में दो वृक्ष थे। एक दिन अचानक से तेज बारिश होने के कारण एक सुनहरी चिड़िया अपने दो बच्चों के साथ सुरक्षित स्थान खोज रही थी। भटकते भटकते वह पहले पेड़ के पास जा पहुंची और उससे बोली कि क्या मैं अपने बच्चों के साथ तुम्हारे पेड़ में अपना घोंसला बना सकती हूं? क्योंकि बहुत तेज बारिश हो रही है और मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे बीमार पड़ जाए। यह सुनकर पहला पेड़ उसे पूर्ण रूप से मना कर देता है और कहता है कि मैं तुम्हें आसरा नहीं दे सकता।

चिड़िया की बददुआ - Tree and Bird Story in Hindi - Moral Stories in Hindi for Class 8

चिड़िया नाराज़ होकर दूसरे पेड़ के पास जाकर उससे पूछती है क्या आप मुझे इस भारी वर्षा में अपने दो बच्चों के साथ रहने के लिए स्थान दे सकते हो? क्या मैं आप के पेड़ में एक छोटा सा घोंसला बना सकती हूं ? ऐसा चिड़िया ने कहा। वह पेड़ उसकी बात से सहमत हो जाता है और और उसे अपने पेड़ में आसरा देता है और कहता है कि हां तुम यहां रह सकती हो। अगले दिन भी लगातार जोरों शोरों से तेज बारिश और तूफान के कारण पहला पेड़ जड़ से टूट कर गिर जाता है। यह दृश्य वह चिड़िया देखती है और वह पेड़ पानी में बहने लगता है।

चिड़िया बहते हुए पेड़ के पास जाकर कहती है देखो तुम्हें तुम्हारे किए की सजा मिल गई। भगवान ने तुम्हें दंडित किया है क्योंकि तुमने मुझे आश्रय देने से मना किया था।तो वह पेड़ मुस्कुराते हुए चिड़िया से कहता है कि मैं पहले से ही जानता था कि मेरी जड़े बहुत कमजोर हो गई है और  मैं बहुत बूढ़ा भी हो गया हूं। तो मैं इस भारी वर्षा में जीवित नहीं रह पाऊंगा इसलिए मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारी जान भी खतरे में पड़े इसलिए मैंने तुम्हें मना कर दिया था और वह टूटा हुआ पेड़ पानी के साथ बहता चला गया। यह देख चिड़िया रोने लगी और उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी को जाने बिना निर्णय तक नहीं पहुंचना चाहिए। इसी तरह अंग्रेजी में कहा गया है ( Don’t Judge a Book by its Cover)

6. चीता और बकरी का सामना सामना – Cheetah and Goat Story – Moral Stories in Hindi for Class 8

बच्चों यह कहानी है चीता और बुद्धिमान बकरी की। बहुत पुरानी बात है बकरियों का झुंड घास की तलाश में अपने गडरिए के साथ जंगल में पहुंच जाते हैं। वह सब जंगल में हरी हरी मीठी-मीठी घास का आनंद लेकर बहुत प्रसन्न होते हैं।उनमें से एक बकरी घास खाते खाते अपने झुंड से अलग हो जाती है। वह घास खा ही रही होती है कि अचानक से वहां एक भयानक चीता उसके सामने आ जाता है। वह चीते को देखकर डर जाती है। पर वह चीते को डर का एहसास होने नहीं देती। वह धैर्यपूर्वक चीते से कहती है कि चीता भैया मैं जानती हूं कि आप मुझे खाने आए हो पर मैने अभी-अभी भरपेट घास खाया है।

अगर यह घास पच जाए तो मेरा मांस और भी स्वादिष्ट होगा और आपको खाने में भी मजा आएगा। यह सुनकर चीता बकरी की बात मान लेता है। फिर बकरी कहती हैं अगर मैं नाचूं तो घास जल्दी से पच जाएगा तो चीता कहता है तुम नाचो। फिर बकरी कहती है मेरे गले में जो घंटी है अगर तुम उसे ज़ोर ज़ोर से बजाओगे तो मैं और अच्छे से नाचूंगी। तो चीता ने बकरी के गले से घंटी निकाली और वह उस घंटी को ज़ोर ज़ोर से बजाने लगा। घंटी की आवाज सुनते ही गडरिया वहां आ पहुंचा और गडरिए को देख चीता वहां से भाग खड़ा हुआ। वह बकरी बच गई।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें मुश्किल समय में भी हमेशा समझदारी से काम लेना चाहिए।

7. परिश्रम का महत्व – Importance of Hard Work – Class 8 Moral Stories in Hindi

प्यारे बच्चों यह कहानी बहुत ही शिक्षाप्रद है। यह कहानी है दो दोस्तों की  रमेश और सुरेश। वह दोनों केरला के एक छोटे से गांव में रहा करते थे। वह दोनों बचपन से ही घनिष्ट मित्र थे। पढ़ाई भी दोनो की साथ ही पूरी हुई थी। अब वह पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी की तलाश में दरबदर भटक रहे थे। पर उनका यह प्रयास असफल रहा उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिली। थक हार एक दिन वह दोनों अपने  गुरुजी के पास जा पहुंचे। उन्होंने गुरुजी को सारी परेशानी सुनाई। उन्होंने कहा गुरु जी आप हमें थोड़े से पैसे उधार दीजिए जिससे हम कोई धंधा शुरू कर सकें। गुरुजी ने दोनों की बात से सहमत होकर दोनों को हजार हजार रुपए दे दिए और दोनों से कहा कि मेरी भी एक शर्त है तुम दोनो को ठीक एक साल बाद यह पैसे मुझे लौटने होंगे।

तो दोनों ने हामी भरी और गुरु जी का आशीर्वाद लेकर वहां से चल दिए। वह रास्ते में सोचने लगे कि शहर जाकर कोई काम धंधा शुरू करेंगे रमेश बहुत ही समझदार था। पर दूसरी और सुरेश उतना ही आलसी और मंदबुद्धि था। रमेश सुरेश से चर्चा करता है की हमे कैसा बिजनेस शुरू करना चाहिए? वह सोच ही रहा होता है तभी सुरेश कहता है कि भाई धंधा छोड़ो हम इन पैसों से कहीं घूमने जाते हैं वैसे भी बहुत समय हो गया है हमें दरबदर भटकते हुए क्यों ना थोड़ी सी मौज मस्ती की जाए। सुरेश की यह बेवकूफी भरी बात सुनकर रमेश उसे समझता है और सुरेश के ना मानने पर रमेश उससे कहता है तुम्हें जो करना है तुम करो। मुझे तो गुरुजी से किए हुए वायदे को पूरा करना है। वह दोनों अलग अलग दिशा में चले जाते हैं।

ठीक एक साल बाद कहे अनुसार दोनों वापस से गुरुजी के पास जाते हैं और गुरु जी उन्हे देख खुश हो जाते हैं और वह सुरेश से कहते हैं क्या तुम मेरे पैसे वापस लाए हो? सुरेश का मायूस चेहरा देख गुरुजी सब समझ जाते हैं कि सुरेश ने कोई तरक्की नहीं की वहीं दूसरी और रमेश के चेहरे में बहुत ही तेज और आत्मविश्वास से भरी आंखें गुरुजी को बिना कहे जवाब दे रही थी। फिर भी गुरु जी ने रमेश से पूछा क्या तुम भी खाली हाथ ही लौटे हो? तो रमेश ने मुस्कुराते हुए कहा नहीं गुरु जी मैं आपके पैसे वापस लाया हूं। वह गुरु जी को एक हजार की बजाय दो हजार देता है और गुरुजी से कहता है कि यह जो मेने अतिरिक्त पैसे दिए हैं इससे आप किसी गरीब की मदद करना।

यह देख गुरुजी बहुत खुश हो जाते हैं और वह रमेश से पूछते हैं कि तुमने ऐसा क्या किया जो तुम पैसे लौटाने में सक्षम रहे? वह गुरु जी को सारी बात बताता हैं कि मेने शहर जाकर चाय का ठेला लगाया और दिन रात मेहनत से खूब सारा धन कमाया इसीलिए आज मैं आपके सामने प्रस्तुत हो पाया हूं। वहीं दूसरी ओर सुरेश मुंह लटकाए बैठा था। यह दृश्य देख उसकी अकल ठिकाने आई और उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। उसे एहसास हुआ कि अगर वह उस दिन रमेश के साथ हो लेता तो आज वह भी खुशी खुशी गुरु जी के सामने पेश होता। गुरु जी सुरेश को यह सीख देते हैं कि अभी भी समय है “जब जागो तभी सवेरा” अभी भी कुछ नही बिगड़ा है। तुम दिन रात मेहनत करो और सफलता की सीढ़ी चढ़ो।

नैतिक शिक्षा :

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें समय का  सम्मान करना चाहिए और श्रम का महत्व समझना चाहिए अगर दिल लगाकर मेहनत करोगे तो “कामयाबी तुम्हारे कदम चूमेगी”।

8. मुल्ला नसरुद्दीन की ग़जब कहानी – Story of Mulla Nasruddin – Moral Stories in Hindi for Class 8

प्यारे बच्चों यह कहानी है मुल्ला नसरुद्दीन की एक बार वह  अपने घर से टहलने निकले। गर्मी के दिन थे और शाम के समय झील के किनारे बहुत ही ठंडी ठंडी हवा चलती थी। वह हवा वहां टहलने वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था। मुल्ला भी ठंडी हवा लेने के लिए झील के किनारे टहलने निकलता है। नसरुद्दीन को झील के किनारे आराम करने में बेहद आनंद महसूस हो रहा था। तभी उसकी नजर झील में तैर रहे बतकों पर पड़ी। सुंदर-सुंदर बतको को देख उसका जी ललचाया और वह मन ही मन सोचता है क्यों ना इन्हे पकड़कर शाम के भोजन की व्यवस्था की जाए। मुल्ला नसरुद्दीन यह सोच कर ही खुश हो जाता है और उनका शिकार करने के लिए झील में छलांग लगा देता है। वह उन्हें पकड़ने की कोशिश करता है पर बतख भी बहुत चालाक थी।

 मुल्ला नसरुद्दीन की ग़जब कहानी - Story of Mulla Nasruddin - Moral Stories in Hindi for Class 8

वह सभी अलग-अलग दिशा में उड़ जाते हैं। नसरुद्दीन के हाथ में कुछ नहीं आता। वह पानी में डूबकर ही वापस खाली हाथ आ जाते हैं। वह सोचता है कि क्यों ना दूसरा प्रयास किया जाए। आखिर रात के भोजन का सवाल है। वह दोबारा से झील में छलांग लगाते हैं और इस बार वे सारी बतख और भी ज्यादा सतर्क हो जाती है। वह सभी झील के बीचो बीच बैठ जाती है।जैसे ही मुल्ला झील के बीचो-बीच पहुंचता है। वह सब फिर से अलग दिशा में उड़ जाती है। इसी तरह मुल्ला के कई सारे प्रयासों के बाद भी वह असफल होता है। अब वह थक कर झील के किनारे लेट जाता है। उसे भूख भी लगने लगती है तो वह अपना हाथ अपने साथ लाए झोले में डालता है और वहां से एक रोटी को निकालता है और झील के पानी में डुबोकर खाता है।

वह बहुत आनंद लेकर रोटी खाता है कि तभी वहां से गुजर रहे तीन लोग उसे देख लेते हैं और वह सोचते हैं कि आखिर ये झील में रोटी डुबाकर क्यों खा रहा है? वह उससे पूछते हैं कि मुल्ला तुम यह आखिर क्या कर रहे हो? मुल्ला नसरुद्दीन बहुत ही स्वादिष्ट मुंह बनाकर रोटी खाता है और वह कहता है कि मैं बतख का शोरमा खा रहा हूं। वह आपस में हस्ते रहे कि खा तो सूखी रोटी रहा है और हमसे के रहा की वह बतख का शोरमा खा रहा।  यह सुनकर मुल्ला भी जोर से ठहाके लगाकर हंस देता है और अपने मन को समझा देता है।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी कभी असफलता को भी स्वीकार कर लेना चाहिए यह भी हमें खुशी दे सकती है।

9. मासूम ऊंट की हार – Story of Ennocent Camel – Moral Stories in Hindi for Class 8

तो चलिए इस मजेदार कहानी को पढ़ना शुरू करते हैं। बहुत पुरानी बात है एक बार एक व्यापारी व्यापार के सिलसिले में अपने ऊंट पर सवार होकर जंगल के बीचो बीच से गुजर रहा था। वह कई दिनों से इसी तरह यात्रा कर रहा था और अचानक से उसके ऊंट की तबीयत खराब हो जाती है और वह व्यापारी अपने ऊंट को जंगल में छोड़ कर अपने पैरों पर चल देता है। ऊंट को जंगल में जो भी उपलब्ध हुआ उसने अपना निर्वाह किया और जल्द ही वह स्वस्थ हो गया इसी तरह जंगल में वह किसी को जानता तो नहीं था पर वह जंगल के जानवरों से दोस्ती जरूर करना चाहता था। वहीं दूसरी ओर शेर, लोमड़ी और कौवे की दोस्ती थी। वह तीनों बेहद ही घनिष्ठ मित्र थे। इन तीनों को जंगल में घूम रहे अनजान ऊंट के बारे में खबर मिलती है।

तो वह सब उसके पास जाकर उससे पूछते हैं की तुम हमारे जंगल में क्या कर रहे हो? ऊंट सारी बात उनको बताता है और उन तीनों को दया आ जाती है और वह उससे दोस्ती कर लेते हैं। अब वह चारों साथ रहने लगते हैं। एक दिन शिकारी की बंदूक से शेर की पैर पर गोली लग जाती है और वह जैसे तैसे खुद को बचा कर अपने गुफा तक जा पहुंचता है। शेर अपने दोनो घनिष्ट मित्र और नए मित्र ऊंट को भी अपनी गुफा में बुलाता है और उनसे कहता है कि मैं अब शिकार करने लायक नहीं रह गया। मुझे भूख भी बहुत लगी है। शेर तीनों से कहता है कि तुम तीनों अलग-अलग दिशाओं में जाकर मेरे लिए भोजन का प्रबंध करो। वह तीनों अलग-अलग दिशा में जाते हैं पर बदकिस्मती से पूरे दिन खोज के बाद भी खाने को कुछ नहीं मिलता।

तो वह तीनों मायूस होकर वापस लौटते हुए वह तीनों रास्ते पर एक योजना बनाते हैं। वह गुफा पहुंच जाते है शेर के पूछने पर लोमड़ी कहती है कि शेर राजा आप हमें खाइए। लोमड़ी तो बहुत चालाक थी वहीं दूसरी और ऊंट उतना ही नादान। वह इस बात को सच समझ बैठा। कौवा शेर से कहता है कि शेर राजा हम आपके लिए खाने का प्रबंध नहीं कर पाए पर आप मुझे खाकर अपनी भूख को मिटा सकते हैं। तो वहीं दूसरी और लोमड़ी कहती है की कौवे तुम तो बहुत छोटे हो तुम्हे खाने से शेर का पेट नहीं भरेगा। राजा आप मुझे खाइए ऐसा लोमड़ी ने कहां। मुझे खाने से अवश्य ही आपकी भूख शांत हो जाएगी। उसके बाद ऊंट बहुत नादानी से कहता है कि इन दोनों के मुकाबले शरीर में बड़ा मैं हूं।

मैं अवश्य ही आपको तृप्त कर पाऊंगा। यह सुनकर शेर और लोमड़ी उस पर झपट पड़ते हैं और उसे मार देते हैं। यह सब उन तीनों की चाल होती है क्योंकि वह तीनों ही बहुत भूखे थे और यह उन्होंने योजना बनाई थी कि आखिर ऊंट को कैसे खाया जाए। वह तीनों बदमाश अपनी योजना में सफल हुए और वहीं दूसरी और नादान ऊंट को अपनी मासूमियत और उन पर बिना सोचे समझे भरोसा करने की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी किसी अनजान पर झट से भरोसा नहीं करना चाहिए। शुरुआती में सब भले ही बहुत अच्छे और सच्चे लगते है। क्योंकि चालाक और निर्दई कभी भी अपना दुष्ट हृदय नहीं बदल सकते। कृपया ऐसे लोगों से सावधान रहें।

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10.समय की कीमत – Value of Time – Moral Stories in Hindi for Class 8

बच्चों यह कहानी आप सभी को समय की कीमत समझाने में सक्षम साबित होगी। तो चलिए शुरू करते हैं। कुनाल नाम का एक लड़का अपने परिवार के साथ रहा करता था। वह बहुत आलसी था पर दिमाग से बहुत तेज। एक दिन उसके स्कूल में ड्रॉइंग कंपटीशन होता है। कुनाल उस प्रतियोगिता में भाग लेता है। दो दिन के बाद प्रतियोगिता का परिणाम जारी होना था। एक दिन कुनाल को फोन आता है वह फोन उठाता है और फोन पर उसके प्रिंसिपल कुनाल को मुबारकबाद देते हैं और कहते हैं कि तुमने ड्रॉइंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया है और आज ही तुम अपना इनाम लेने आओ।

पर कुणाल बिना परवाह किए हमेशा की तरह अपना दिन व्यतीत करता है थोड़ा सा खेल कर थोड़ा सा सो कर और सोचता है कि मैं कल अपना इनाम लेने जाऊंगा। अगले दिन वह तैयार होकर अपने स्कूल जाता है और प्रिंसिपल ऑफिस पर वे अपने इनाम के बारे में पूछता है। प्रिंसिपल सर उसे इनाम देते हैं। वह एक सर्कस की टिकट थी जो कि पिछले कल के लिए ही वैद्य थी। आज उसका महत्व खत्म हो चुका था। कुनाल बिना काम के टिकट लेकर मूंह लटकाए ऑफिस से बाहर निकलता है और आज उसे यह बात समझ आ गई थी कि काम को कभी टालना नहीं चाहिए। जिस काम की जब जरूरत हो उसी वक्त कर देना चाहिए।

नैतिक शिक्षा:

प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि समय बहुत बलवान होता है हमें समय की कद्र करनी चाहिए और हर एक कार्य समय पर कर देना चाहिए।

11. महात्मा बुद्ध की प्रेरणादक कहानी – Inspirational Story of Buddha – Moral Stories in Hindi for Class 8

एक समय की बात है हरिया नामक किसान एक गांव में रहा करता था वह बहुत गरीब था। वह अपने परिवार में एक पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ रहा करता था। इतनी गरीबी होने के कारण वह अपने परिवार का भरण पोषण करने में अक्सर  असमर्थ होता था और वह उन्हें कभी कभी दो वक्त की रोटी भी उपलब्ध नहीं करा पाता था। इस बात से वह अक्सर बहुत दुःखी रहता था। अपनी परेशान बीवी और रोते हुए बच्चों को देख उसका मन विचलित हो जाया करता था। एक बार इसी तरह से वह परिवार के रात के भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाया और अपने रोते हुए बच्चों को देख उसका दिल पासिज सा जाता है और खुद पर क्रोध आने की वजह से वह बिना किसी को सूचित किए बिना सोचे समझे घर से निकल जाता है। बिना कोई निर्धारित जगह के वह बस रात में जंगल की ओर चल देता है।

महात्मा बुद्ध की प्रेरणादक कहानी - Inspirational Story of Buddha - Moral Stories in Hindi for Class 8

कुछ देर चलने के बाद उसे महात्मा बुद्ध और उनके शिष्यों का डेरा दिखता है। वह उनके पास चले जाता है और महात्मा बुद्ध के चरणों में गिर जाता हैं और उन से विनती करते हैं कि मुझे भी अपना शिष्य बना लीजिए और अपने जीवन की सारी दुखद घटना उन्हें सुनाते हैं। महात्मा बुद्ध को यह सुनकर बेहद अफसोस होता है कि वह अपने दो छोटे बच्चों व अपनी पत्नी को छोड़कर जंगल की ओर चल दिया पर वह उसे बहुत ही समझदारी से सीख देना चाहते थे। तो महात्मा बुद्ध अगले दिन सुबह अपने इस नए शिष्य को एक कार्य देते हैं। वह हरिया से कहते हैं कि जाओ मेरे लिए पानी लेकर आओ मुझे बहुत प्यास लगी है और वह पानी लेने चल देता है। थोड़ी देर चलकर उसे एक सरोवर दिखता है। पर वह देखता है कि वहां पर खूब सारे जानवर उथल-पुथल मचा रहे थे।

आपस में लड़ झगड़ रहे थे। तो कोई जानवर वहां गर्मी से बचने के लिए पानी में आनंद ले रहे थे। जिसकी वजह से सरोवर का पानी बहुत ही गंदा और कीचड़ से दूषित हो गया था। हरिया जानवरों को वहां से भगा देते हैं और खुद खाली हाथी ही महात्मा बुद्ध के पास वापस लौट जाते हैं और बुद्ध हरिया को खाली हाथ देखकर उनसे पूछते हैं कि तुम पानी लेकर नहीं आए? वह सारी बात बुद्ध को बताते हैं। महात्मा जी उससे कहते हैं कि तुम दोबारा जाओ। वह वापस जाता है और यह देखकर चकित रह जाता है कि सरोवर का पानी बहुत ही स्वच्छ और निर्मल दिख रहा था। वह मन ही मन सोचने लग पड़ा कि आखिर यह कैसे हुआ? वह पानी को घड़े में भर कर बुद्ध के पास चले जाते हैं और उन्हें पानी पीने के लिए देते हैं।

बुद्ध हरिया को समझाते हैं की जब जानवर पानी में उत्तल पुथल मचा रहे थे तो पानी का कीचड़ उभर आया था। तो कुछ देर शांत रहने से पानी का सारा कीचड़ नीचे बैठ गया और पानी वापस से निर्मल और स्वच्छ हो गया है। महात्मा बुद्ध हरिया को समझाते हैं कि इसी तरह कभी जीवन में उथल पुथल मची हो या कोई कठिनाई हो या उस वक्त गुस्से में लिया निर्णय हमेशा की गलत और नुकसानदायक साबित होता है। ये सुनकर हरिया को एहसास होता है कि उसने अपने परिवार के साथ बहुत गलत किया है। वह बुद्ध से क्षमा मांगकर वापिस अपने परिवार के पास लौट जाते हैं।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारी भागदौड़ भरी और कठिनाई भरी जिंदगी में भी जब इसी तरह उथल-पुथल मची हो तो उस समय हमें भी अपने मन को शांत और चित रखकर निर्णय लेना चाहिए जैसे कुछ समय शांत रहने से जिस तरह कीचड़ पानी में बैठ गया था और पानी दोबारा से निर्मल और स्वच्छ हो गया था उसी तरह शांत चित्त और शांत मन से किया गया निर्णय हमेशा ही सही साबित होता है।

12. दो परिवारों की नोंक झोंक की कहानी – Moral Stories in Hindi for Class 8

एक समय की बात है चेन्नई शहर में दो परिवार रहा करते थे। वह दोनों परिवार एक दूसरे के पड़ोसी थे। दोनों परिवारों में एक फर्क था कि पूजा और राहुल का परिवार बेहद खुशी और प्यार से रहा करता था। वहीं दूसरी और संजीव और निशा का परिवार हमेशा लड़ाई झगड़ों में उलझा रहता था। कई बार निशा और संजीव राहुल के परिवार को देख बेहद जलन महसूस करते थे। एक दिन संजीव की पत्नी निशा ने उससे कहा की आखिर उनके घर में इतनी शांति कैसे? उनके बीच इतना प्यार कैसे? आखिर क्या राज है? हमें इसकी जांच पड़ताल करनी चाहिए। उसने अपने पति को उनके घर चुपके से जाने को कहा और उनका यह खुशी का राज़ जानने को कहा। संजीव पूजा और राहुल के घर पहुंच जाता है।

उनके घर का दरवाजा थोड़ा सा खुला होता है वह चुपके से देखता है कि पूजा अपने घर की साफ सफाई कर रही होती है और वह पोछा लगा रही होती है। तभी रसोई में कुकर की सीटी बजते ही पूजा रसोई की ओर चली जाती है। वहीं राहुल किसी काम से भागता भागता कमरे की और आता है और उससे पानी की बाल्टी गलती से गिर जाती है। पूजा दौड़कर रसोई से आती है और राहुल से क्षमा मांगती है कि राहुल मुझे माफ कर दो मेरी गलती की वजह से यह पानी से भरी बाल्टी गिरी गई। मेने ध्यान नहीं दिया और इसे रास्ते से हटाया भी नहीं। वहीं दूसरी ओर राहुल कहता है नहीं प्रिय पूजा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है गलती तो मेरी है मैने ध्यान नहीं दिया और जल्दबाजी में मेरे पैरो से धक्का लग बाल्टी गिर गई। दोनो ने गिरे हुए पानी को समेटा और घर को साफ किया।

यह देख संजीव दंग रह गया। घर वापस आया तो उसकी पत्नी निशा इंतजार कर रही थी। पति के आते ही निशा ने उससे पूछा कि क्या तुम जान पाए आखिर उनके खुशहाल परिवार का क्या राज है ? संजीव ने सारी बात दिशा को बताई कि हम दोनो में और उन दोनो में बस इतना सा फर्क है की हम दोनों हमेशा स्वयं को सही साबित करने में लड़ाई झगड़ा कर बैठते हैं। वहीं दूसरी और राहुल और पूजा अपनी गलती को स्वीकार कर उसकी जिम्मेवारी स्वयं लेते हैं और दोनों गलतियों को सुधारते हैं बस यही फर्क है कि वह दोनों खुशी राजी रहते है और हम दोनों हमेशा लड़ते झगड़ते और एक दूसरे की खामियां निकलते। उन दोनो को एहसास हुआ और उन दोनो ने भी राहुल और पूजा की तरह जीवन जीने की कोशिश की।

नैतिक शिक्षा:

तो प्यारे बच्चों हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी गलतियों की जिम्मेवारी खुद ही लेनी चाहिए ना कि अपनी गलतियां दूसरों पर थोपना चाहिए।

Conclusion:

प्यारे बच्चों मैं आशा करती हूं आपको हमारी यह Moral Stories in Hindi for Class 8 आपको अवश्य ही बेहद पसंद आई होंगी और इन कहानियों से आपको नैतिकता का पाठ सीखने को अवश्य मिला होगा। यह कहानियां बच्चों के मनों में नैतिकता का बीज बोने में सक्षम साबित होगी। अगर यह कहानियां आपको अच्छी लगी हो तो आप इन्हें अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और अगर कहानियों को लेकर कोई सवाल या सुझाव हो तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट जरुर शेयर करें हमें बेहद खुशी होगी धन्यवाद।

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