Moral Story in Hindi For Education – प्यारे बच्चों आज हम आपको पढ़ाने जा रहे हैं top 10+Best moral story in hindi for education यह 10+ कहानियां खासकर आप बच्चों के लिए तैयार की गई हैं। यह चुनिंदा कहानियां आपको बहुत पसंद आएंगी। जिससे सीख – समझ कर आप अपने जीवन में इसे अमल कर पाओगे। आशा करती हूं यह कहानियां आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगी।
1.पढ़ाई का असली मतलब – Moral Story in Hindi For Education
प्यारे बच्चों आज आपको सुनाने जा रहे हैं नैनीताल के सुंदर से शहर में रहने वाले परिवार की कहानी। नैनीताल में एक छोटा सा परिवार रहा करता था| परिवार में माता-पिता और दो भाई-बहन रहा करते थे। वह दोनों जुड़वा थे। वह दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। भाई का नाम था हिमांशु और बहन का नाम था हिमानी। वह दोनों पढ़ाई में बहुत ही होशियार थे। परंतु हिमांशु हमेशा कक्षा में प्रथम आता था और हिमानी हमेशा दूसरे नंबर पर ही रहती थी। हिमानी को पढ़ाई का बहुत शौक था परंतु हर बार वार्षिक परीक्षा में हिमांशु ही प्रथम स्थान पर रहता था। इसी तरह दिन बीतते गए और देखते ही देखते परीक्षा का दिन निकट आ गया।
परीक्षा से एक दिन पहले हिमानी अपने कमरे में बैठकर लगातार पूरी पूरी किताबें पढ़ रही थी। परंतु हिमांशु वही चीजें पढ़ रहा था जो परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है!हिमांशु उसके पास आता है और कहता है कि तुम बेवकूफों की तरह सारी किताब क्यूं पढ़ रही हो तुम केवल जरूरी प्रश्नों पर ही ध्यान दो जो परीक्षा में आ सकते हैं। तो हिमानी ने जवाब में कहा तुम मुझे परेशान मत करो मैं पूरी किताब ही पढूंगी आखिर परीक्षा में जो भी आएगा वह पुस्तक से ही तो आएगा ना। यह कहकर हिमानी ने अपने भाई को अपने कमरे से भगा दिया।
अगले दिन दोनों बच्चे खुशी खुशी परीक्षा देने चले गए चले गए जब लौटे तो बहुत खुश थे क्योंकि दोनो की परीक्षा खत्म और मस्ती के दिन शुरू!ऐसे ही दिन बीतते गए और 31मार्च रिजल्ट का दिन आ गया हर बार की तरह हिमांशु ने प्रथम स्थान प्राप्त किया और हिमानी ने द्वितीय। रिजल्ट सुनकर बच्चों के माता-पिता बहुत खुश हो गए और उन्होंने पहले से ही फैसला कर रखा था कि जो भी प्रथम आएगा उसे गिफ्ट के तौर पर साइकिल दी जाएगी।

गिफ्ट में हिमांशु को बहुत ही सुंदर साइकिल मिली और उसके माता-पिता ने उसे समझाया कि यह साइकिल तुम हिमानी को भी खेलने देना। पर वह खुद ही खेलता रहता था। एक दिन उनके घर पर दावत का निमंत्रण आया माता-पिता ने सोचा की कि वह दोनों बच्चों को भी लेकर जाएंगे और इसी बहाने उन्हें भी आउटिंग मिलेगी। तैयार होकर पूरा परिवार दावत के लिए चल दिया दावत से लौटते वक्त उन्हें रास्ते में कुछ मीडिया रिपोर्टर दिखाई दिए। वह उन्हें कवरेज देने लगे और कहने लगे कि हम अपने साइकिल की कंपनी के विज्ञापन के लिए बच्चों से सवाल पूछ रहे है। जो भी बच्चा सारे सवालों के जवाब देगा उसे कंपनी की सबसे अच्छे ब्रांड की साइकिल मिलेगी। यह सुनकर वो खुश हो गए और दोनों बचो को सवाल हल करने के लिए दिए गए।
हिमानी बहुत खुश थी क्योंकि वह सारे सवाल उनके पाठ्यक्रम से ही आए थे और हिमानी ने तो पूरी किताब पढ़ रखी थी तो उसने बहुत ही आसानी से सारे सवालों का जवाब दिया और दूसरी तरफ हिमांशु उसने केवल और केवल महत्वपूर्ण प्रशन ही पढ़ रखे थे। एग्जाम में ज्यादा से ज्यादा नंबर बटोरने के लिए तो उसे दूसरे प्रश्नों का ज्ञान नहीं था। इसलिए वे सवालों को हल करने में असमर्थ रहा। हिमानी ने बहुत ही चतुराई और बुद्धिमता से सवालों को हल किया। परंतु इस इस बार हिमांशु जवाब देने में असमर्थ हो गया।
तो इसी प्रकार हिमानी इस प्रश्नोत्तरी की विजेता बनी और उसे बहुत ही सुंदर साईकिल तोफे में मिली और भी कई सारे तोफे मिले। बच्चों के माता-पिता बहुत खुश हो जाते हैं और हिमानी पर गर्व करते हैं। इस दृश्य को देख हिमांशु को एक बात समझ आती है कि हमें पढ़ाई को केवल अच्छे अंक लेने के लिए ही नहीं बल्कि अपने ज्ञान बड़ाने के लिए भी पढ़ाई करनी चाहिए जिस तरह हिमानी किया करती थी।
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि असली पढ़ाई का मतलब परीक्षा में अच्छे अंक लाना ही नहीं है बल्कि पढ़ाई का मतलब है अपने ज्ञान चक्षुओं को खोलना और भरपूर ज्ञान बड़ाना।
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2.अंडे और आलू की परीक्षा – Moral Story in Hindi For Education

प्यारे बच्चों आज मैं आपको सुनाने जा रही हूं अड्डे और आलू की कहानी के बारे में!एक बार की बात है राधा के रसोई में आलू और अंडा आपस में झगड़ रहे थे! आलू अंडे को चिड़ा रहा था कि मेरे एक मुक्के भर से तुम अभी टूट कर बिखर जाओगे और अंडा उसे जवाब में कह रहा था एक बार उबल कर तो देखो उबलते ही तुम बिखर जाओगे और परांठे में मसल दिए जाओगे। यह सुनते ही आलू बहुत क्रोधित हो जाता है!
उसने कहा चलो चैलेंज लेकर देखते हैं दोनों पानी में उबलने के लिए तैयार हो जाते हैं और कहते हैं कौन ज्यादा मजबूत है, और कौन ज्यादा देर उबलते पानी को सह पाता है! तो इसी तरह उन्होंने खुद को उबालना शुरू कर दिया वक्त बीतता गया 15 से 20 मिनट में ही आलू के बुरे हाल हो जाते हैं! ज्यादा उबल कर वह बिखर जाता है। और दूसरी तरफ अंडा उबलते उबलते और ज्यादा मजबूत होने लगता है। अंडे ने आलू को देखकर कहा क्यों मे ना कहता था तप कर तो देखो तुम्हारी असली परख तपने से ही होती है। आलू शर्मिंदा हुआ और उसे ये अहसास हुआ की कभी किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए।
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों इस छोटी सी प्यारी सी कहानी से आपको यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए बल्कि कठिनाइयों और परेशानियों में दोगुनी ताकत से हिम्मत साहस दिखाना चाहिए। जैसे अंडे ने हिम्मत दिखाई साहस दिखाया और तपते तपते खुद को मजबूत बनाया और खुद को साबित किया।
3.नाकामयाब सपने – Moral Story in Hindi For Education
आज में आपको सुनाने जा रही हूं कुछ नाकामयाब सपनों के बारे में। यह कहानी है गुजरात के एक बहुत बड़े बिजनेसमैन की जिसका नाम था जिग्नेश। उसकी पत्नी का नाम था हंसा। जिग्नेश के बिजनेस के कारण वह बहुत व्यस्त रहता था। वह अपने परिवार को समय नहीं दे पाता था। जिग्नेश की कोई औलाद नहीं थी। उसके घर में केवल वह और उसकी पत्नी रहा करते थे। वह बिजनेस के चलते अक्सर घर देरी से आया करता था।
उसकी पत्नी रात के खाने में उसका इंतजार करती थी और इंतजार करते-करते ही कई दफा टेबल पर सो जाया करते थी! यही चलता रहा समय बीतता गया और वह अपनी पत्नी से वादे करता था कि जब भी हमारा बिज़नस और आगे बढ़ जाएगा तो कुछ दिन की छुट्टी लेकर हम पूरे विश्व की यात्रा पर जाएंगे। वह अपनी पत्नी को बस यही सपने दिखाता रहता था और उसकी पत्नी भी उस समय का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। पर बदकिस्मती से वह समय कभी आया ही नहीं!एक दिन जब जिग्नेश घर पर नहीं था तो हंसा अचानक से सीढ़ियों से फिसल गई और उसकी मृत्यु हो गई। जिग्नेश इस समय भी अपने काम में व्यस्त था।
जिग्नेश एक मीटिंग में था अचानक उसे अनजान नंबर से फोन आता है वह फोन उसके पड़ोसी मीरा का होता है। मीरा बहुत घबराई हुई थी। वह कहती है हंसा भाभी , हंसा भाभी। जिग्नेश कहता है कुछ आगे भी कहो क्या हुआ तुम इतने घबराई हुई क्यों हो। तो मीरा कहती है कि हंसा भाभी का सीढ़ियों से फिसल कर देहांत हो गया है तो जल्दी से घर आ जाओ। जिग्नेश मीटिंग को बीच में ही छोड़कर भगा भगा घर पहुंचता है और वह देखता है कि वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो रखी थी! और उसकी पत्नी हंसा खून से लथपथ थी।
वह जाकर फंसा को गले लगाता है और फूट-फूट कर रोता है। उसे उस समय बहुत पछतावा होता है और उसे अपने सारी बातें और वादे याद आते हैं जो उसने हंसा से किए थे कि हम पूरे विश्व की यात्रा पर जाएंगे। हंसा और जिग्नेश के सपने नाकामयाब रह गए।
नैतिक शिक्षा:
तो हमे इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें भविष्य में नहीं बल्कि वर्तमान में जीना चाहिए। क्या पता कल हम रहें न रहें। जो है अभी है ,खुश रहे और खुल कर अपने जीवन को जिएं।
4.वक्त की कीमत – Moral Story in Hindi For Education
प्यारे बच्चों आज मैं आपको सुनाने जा रही हूं बहुत ही प्रेरणादायक कहानी जो मेरी दादी मुझे सुनाया करती थी! यह कहानी है वक्त की कीमत पर! यह कहानी है बर्फीले पहाड़ों की जहां पर एक चिड़िया रहा करती थी! वह चिड़िया बहुत ही समझदार थी!अक्सर बर्फीले इलाकों में हर एक इंसान जीव जंतु को सर्दियों के लिए अपने भोजन की व्यवस्था पहले ही करनी होती थी!सर्दियों के मौसम में कोई भी यहां से वहां आने जाने में असमर्थ होता था!
इसीलिए सभी अपने खाने-पीने का जुगाड़ पहले ही कर देते थे ताकि उन्हें किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े। इसी प्रकार चिड़िया भी बहुत समझदारी से गर्मियों के मौसम से ही अपने घोंसले में अनाज को इकट्ठा करना शुरू कर दी थी।उसके पड़ोस वाले पेड़ में एक कौवा रहता था। वह बहुत ही लापरवाह था। वह मुसीबत आने पर ही मुसीबत को देखता था। कभी भी पहले से तैयार नहीं रहता था। इसी प्रकार समय बीतता गया और सर्दियां आ गई चिड़िया उसे बहुत समझाती थी कि तुम भी अपने खाने पीने के लिए कुछ अनाज इकट्ठा कर लो पर कौवा कहता था मैं वक्त आने पर देख लूंगा।
एक दिन बहुत ही बर्फबारी हो रही थी। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ। चिड़िया अपने घोसले में बहुत ही आराम पूर्वक अनाज खा रही थी और अपने बच्चों को भी खिला रही थी। दूसरी तरफ कौवे के पास पर्याप्त घोंसला भी नहीं था और ना उसके पास कुछ अनाज वह परेशान हो गया। उसे बहुत भूख लगी थी। वह चिड़िया के पास मदद मांगने गया। उसने कहा चिड़िया बहन क्या तुम मुझे कुछ अनाज खाने के लिए उधार दे सकती हो?
चिड़िया ने उसे कुछ अनाज दे दिया। अगले दिन फिर ऐसा ही हुआ वह बहुत हिम्मत जुटाकर दुबारा चिड़िया के पास आया और कहने लगा क्या तुम मुझे आज भी अनाज उधार दे सकती हो? तो चिड़िया ने उसे समझाया और कहा तुम्हे मैं न कहती थी कि सर्दियों के लिए अनाज को बटोरो। अपने लिए अनाज इकट्ठा करो और सर्दियों के मौसम से तुम आराम पूर्वक खा पी और आराम से जी सकते हो। अगर तुम मेरी बात मानते तो तुम्हें इस तरह बार-बार शर्मिंदा होकर दरबदर भटकना ना पड़ता।
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने काम को टालना नहीं चाहिए बल्कि समय पर अपने काम को पूरा करना चाहिए। जिस वक्त जिस चीज की जरूरत हो उसे उसी समय कर देना चाहिए। उसे कल पर नहीं छोड़ना चाहिए।
5.शेखचिल्ली के हसीन सपने – Moral Story in Hindi For Education
प्यारे बच्चों आज आपको सुनाने जा रही हूं शेखचिल्ली की कहानी! बहुत पुरानी बात है एक गांव में शेख चिल्ली रहता था! वह बहुत गरीब था! राजा के सेब के बगीचों में काम किया करता था! एक बार पेड़ में चढ़कर वह सेब तोड़ रहा था! सेब तोड़ते तोड़ते अचानक वह अपने ख्यालों में खो गया!उसे ख्याल आया अगर यह मेरे सेब के बगीचे होते में इन बगीचों का मालिक होता! तो इन सबों को बेचकर में बहुत धनराशि जमा करता!
उस धनराशि से और भी बड़े-बड़े सेब के बगीचे खरीदता और इसी प्रकार में बहुत ही धनवान हो जाता। शहर में सबसे ज्यादा धनवान होने के कारण राजा खुद अपनी बेटी राजकुमारी सुगंधा का हाथ मेरे हाथों में सौंप देते और उनसे मेरी शादी करवा देते। मैं अपनी राजकुमारी के साथ घूमने विश्व यात्रा पर निकलता । जब वे घोड़े पर सवार होने के लिए मेरा हाथ थामती। वह अभी इन्हीं खयालों में खोया ही था की अचानक उसका संतुलन बिगड़ जाता है और वह धड़ाम से पेड़ से गिर जाता है। पेड़ से गिरने के कारण उसके पैरों की हड्डी टूट जाती है और उसे पीठ में भी बहुत चोट लगती है।
नैतिक शिक्षा:
इस शेख चिल्ली की कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें बेबुनियादी ख्याली सपने नहीं बुनने चाहिए। बल्कि अपने सपनों को साकार करने के लिए खूब मेहनत करनी चाहिए।
6.भोली चिड़ियां और शैतान बाज – Moral Story in Hindi For Education

उन सभी जानवरों को देखकर बाज़ घबरा जाता है तो वह कहता है कि यह सब यहां कैसे पहुंचे तो चिड़िया कहती है मेने तुम्हारे शरीर में यह खून के धब्बे देख लिए थे जो कि काफी पुराने लग रहे थे! तो मैंने अपनी भाषा में सभी जानवरों को सचेत कर दिया था और अपने पीछे आने को कह दिया था! इसी प्रकार बाज़ को अपने किए पर पछतावा होता है कि भोली चिड़ियां ने मुझपर भरोसा किया और मेने उसे दुख पहुंचाया!तभी बाकी सब जानवरों ने उसे पीट-पीटकर सबक सिखाया!
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी को कमजोर नहीं समझना चाहिए और ना ही हमें किसी के भरोसे का गलत फायदा उठाना चाहिए!
7.झूठ बोलने का नतीजा – Moral Story in Hindi For Education
मैं आज आपको सुनाने जा रही हूं सेम की कहानी! सेम एक बहुत ही प्यारा और चुलबुले मिज़ाज का बच्चा था! दोस्तों के साथ खेलता कूदता और हर्षोल्लास से रहता था! उसके क्लास में कुछ ऐसे भी बच्चे थे जो बहुत झूठ बोलते थे और सेम की दोस्ती भी उन बच्चों से हो गई उनके साथ बैठकर सेम भी छोटे-छोटे झूठ बोलना सीख गया! उसे यह लगने लगा कि छोटे-छोटे झूठ बोलने से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता! और कई बार होमवर्क न करने पर झूठ बोलने से बच भी जाते हैं!
दिन बीतते गए और सेम झूठ बोलता रहा! उसके माता-पिता आए दिन उसका झूठ पकड़ते थे और उसे समझाने की कोशिश करते थे! वह कहता था कि मेरे झूठ से किसका क्या नुकसान तो एक दिन सेम अपने पिताजी के साथ बाजार तक गया! रस्ते में उन्होंने देखा कि एक गाड़ी की टक्कर एक दीवार से हो गई है यह देखकर लोगों की भीड़ वहां इक्कठी हो गई!उस गाड़ी में ड्राइवर के साथ एक आदमी भी था!
उसको चोट लगी थी! सेम के पिताजी ने उस आदमी से कहा कि क्या आपको इतनी बड़ी दीवार दिखी नहीं तो उस आदमी ने कहा इस ड्राइवर ने मुझसे झूठ बोला है!मेरे पूछने पर उसने कहा था कि मैं बिना चश्मे के भी अच्छे से देख सकता हूं! तो सेम के पिताजी ने सेम की ओर देखा और उसे समझाया , सेम समझ गया कि झूठ बोलने के कितने नुकसान हो सकते हैं!
नैतिक शिक्षा:
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि झूठ बोलना नुकसानदायक हो सकता है साथ ही खतरनाक भी!
8.अड़ियल बच्चा बना महान्! – Moral Stories in Hindi For Education
आज मैं आपको सुनाने जा रही हूं कार्तिक की कहानी! कार्तिक एक घमंडी और अड़ियल किस्म का बच्चा था!वह कभी किसी से कुछ भी शेयर नहीं करता था! ना खेलने के खिलौने ना खाने की चॉकलेट!इसी आदत की वजह से उसके कोई भी दोस्त नहीं थे! वह अकेला ही रहता था! एक बार वह अपनी साइकिल में स्कूल से घर वापस आ रहा था! रास्ते में वह देखता है कि उसकी क्लास का एक बच्चा जिसका नाम निखिल था उसकी साइकिल नीचे गिर जाती है और वह कीचड़ में फंस जाता है और वह उठ नहीं पा रहा था!
मानो ऐसे लग रहा था जैसे उसके पैर का फ्रैक्चर हो गया है! वे चल ही नहीं पा रहा था!यह देखकर पहले तो कार्तिक को दया नहीं आई! वैसे तो कार्तिक कभी किसी की मदद नहीं करता था! मगर कुछ देर आगे जाकर अचानक से उसे एहसास हुआ कि मुझे निखिल की मदद करनी चाहिए!वहां पहुंचकर उसने उसे कीचड़ से निकाला और उसे अपनी साइकिल पर बिठाकर उसे हॉस्पिटल तक ले गया!
निखिल भी ये सब देखकर हैरान था कि पूरी क्लास में सबसे घमंडी और अड़ियल बच्चे ने उसकी कैसे मदद कर ली जब निखिल का इलाज हो गया तो कार्तिक अपने घर वापस आ गया शाम होते ही निखिल के माता-पिता कार्तिक के घर पहुंच गए और उसे धन्यवाद करने लगे! कहने लगे बेटा तुम तो बहुत ही महान निकले तुमने हमारे बेटे की जान बचाई है! उस समय उसे एहसास हुआ कि किसी की मदद करने से मन को कितनी खुशी और तसल्ली मिलती है!
नैतिक शिक्षा:
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए हमेशा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहना चाहिए!
9.ईश्वर की खूबसूरत रचना – Moral Stories in Hindi For Education
प्यारे बच्चों आपके लिए एक बहुत ही खास कहानी लेकर आई हूं यह कहानी है एक कौवे की!एक बार जंगल में एक कौवा रहा करता था वे हमेशा सोचता था कि मुझे ईश्वर इतना काला क्यों बनाया! एक बार एक तालाब में वह हंस को देखता है और हंस से कहता है तुम्हें ईश्वर ने कितना सुंदर बनाया है!

तुम सफेद रंग के हो तुम्हारे पंख भी सफेद हैं!तो हंस कहता है मैं तो कुछ भी नहीं मुझे तो सबसे सुंदर तोता लगता है! मैं तो सिर से पैर तक सफेद रंग का हूं परंतु तोते के तो दो रंग है! सबसे सुंदर तो तोता ही है! तो कौवा तोते के पास जाता है और कहता है तोता भाई तुम बहुत सुंदर हो तुम्हें ईश्वर ने बहुत सुंदर बनाया है! तोता कहता है मुझमें तो केवल दो ही रंग हैं! ईश्वर ने तो सबसे सुंदर बनाया है मोर को सबसे सुंदर तो मुझे मोर ही लगता है!
तो वह कौवा उसकी बात सुनकर मोर के पास जाता है! मोर चिड़ियाघर में कैद होता है! कौवा उसे कहता है कि तुम इस जंगल में सबसे खूबसूरत पक्षी हो तुम बहुत खूबसूरत हो!मोर परेशानी भरे और नम आंखों से उसे जवाब देता है और कहता है मुझसे ज्यादा भाग्यशाली तो तुम ही हो तुम खुले आसमान में उड़ सकते हो!ईश्वर ने तुम्हें बहुत अच्छा और भाग्यशाली बनाया है!मुझे देखो मेरे सुंदरता के कारण मैं इस जेल के अंदर कैद हूं! मेरी सुंदरता के कारण लोगों को दिखाने के लिए मुझे चिड़ियाघर में कैद कर रखा है! यह सुनकर कौवे को एहसास हो जाता है कि वह कितना भाग्यशाली है!ईश्वर ने उसे कितना सुंदर बनाया है!
नैतिक शिक्षा:
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने को कभी दूसरों से कम नहीं समझना चाहिए ना ही अपनी खूबसूरती की तुलना दूसरों से करनी चाहिए! ईश्वर ने सभी को खास बनाया है!
10.इंसानियत पर सवाल? – Moral Stories in Hindi For Education
यह कहानी है एक छोटी सी बच्ची के सवाल कि जो उसने अपने पिता पूछा! तो चलो बच्चों पढ़ते हैं आगे की कहानी में आखिर क्या था वह सवाल! एक बार इशिता अपने पिता के साथ मंदिर जाती है!वह मंदिर के दरवाजे पर शेर की मूर्ति देखकर डर जाती है और अपने पापा से कहने लगती है भागो भागो पापा यह शेर हमें खा जायेंगे! उसके पिता उसे समझाते हैं और उसे शांत करते हैं कि यह केवल मूर्तियां हैं! यह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते!तो इशिता अपने पिता से कहती है अगर यह मूर्तियां हमें नुकसान नहीं पहुंचा सकती तो भगवान की मूर्ति हमें कैसे आशीर्वाद दे सकती है!
कैसे हमें मुसीबत के समय बचा सकती हैं!उसका यह सवाल सुनकर उसके पिता अचंभित हो जाते हैं कि एक छोटी सी बच्ची ने यह सवाल कैसे कर दिया!उसके पिता उसका जवाब देने में असमर्थ होते हैं! इसी सवाल से इशिता के पिता सोच में डूब जाते हैं!वह इस सवाल का उत्तर ढूंढते लगते हैं! इस सवाल का उत्तर ढूंढते ढूंढते उन्हें यह समझ आया कि हमें भगवान इंसानों में ढूंढना चाहिए ना की मूर्तियों में!भगवान तो इंसानों के द्वारा ही हमारी मदद करते हैं!
नैतिक शिक्षा:
तो प्यारे बच्चों को इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें इंसानियत को जीवित रखना चाहिए!इंसानियत मायने रखती है!
11.अरुण और उसकी हैरतअंगेज कहानी| – Moral Stories in Hindi For Education
आज की छोटी सी कहानी बहुत ही रोचक भरी है तो इसे जानने के लिए चलिए आगे पढ़ते हैं!यह बात है 30 साल के युवक अरुण की जो अपने पिता के साथ एक बस में सफर कर रहा था! वह बहुत ही खुश और हैरत दिख रहा था! वह खिड़की से देखता है और जोर-जोर से चिल्लाकर अपने पिता से कहता है कि पिताजी हम जैसे जैसे आगे बढ़ रहे हैं पेड़ हमारे पीछे जा रहे हैं यह सुनकर पिता मुस्कुराते हैं!

पर वहां पर कुछ लोग और भी बैठे होते हैं। वह लोग यह बात सुनकर हैरान हो जाते हैं। वह सभी अरुण को हेरतभरी नजर से देखने लगते हैं। अरुण जब दुबारा से खिड़की से बाहर देखता है और वह दुबारा ज़ोर से चीखने लगता है कि पिताजी यह बादल हमारे साथ चल रहे हैं। पिता फिर से मुस्कुराते हैं। पर यह बात साथ बैठे लोगों को हजम नही होती है। वह खुद को रोक नहीं पाते और अरुण के पिता से सवाल करते हैं कि आप अपने बेटे को किसी अच्छे डॉक्टर के पास क्यों नहीं दिखाते। तो उसके पिता जवाब में यह कहते हैं कि मैं अभी डॉक्टर के पास से ही आ रहा हूं इलाज करवा कर!अरुण जन्म से ही अंधा था! और आज पहली बार यह चीजों को देख और महसूस कर रहा है। यह सुनकर सवाल करने वाले लोग शर्मिंदा हो जाते हैं। यह सच सुनकर वह सब हैरान हो जाते हैं।
नैतिक शिक्षा:
तो बच्चों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी को जज नहीं करना चाहिए क्योंकि जीवन में सभी की अपनी-अपनी कहानी होती है! कई बार सच आपको चौंका सकता है।
निष्कर्ष:
Moral Story in Hindi For Education – यह मोरल कहानियां बच्चों के लिए बहुत ज्यादा मजेदार और उपयोगी साबित होती है! बच्चे इन्हे बहुत पसंद करते हैं। आप माता पिता से निवेदन है कि आप भी अपने बच्चों को यह कहानियां सुनाएं और उन्हें खुद भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। आशा करती हूं आप को यह कहानियां बहुत ही मजेदार और उपयोगी लगी होगी। अगर आपको हमारी कहानियां पसंद आईं हो तो आप इसे जरूर लाइक करें और सोशल मीडिया में जरूर शेयर करें। हमारी अन्य कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। यदि इन कहानियों से सम्बंधित आपको कोई प्रश्न या सुझाव हो तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करें।